आज में आपको अप्सरा को सिद्ध करने की सरल विधि देने वाला हु इसका अनुसरण करके आप अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकते हो, तो चलिए विस्तार से जानते हे अप्सरा को सिद्ध करने की सरल विधि हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
शास्त्रों में और तांत्रिक ग्रन्थों में उर्वशी अप्सरा को वश में करने, उसे प्रिया रूप में प्राप्त करने और उसके से धन, सम्पत्ति, सुख-सौभाग्य प्राप्त करने के लिए शाबर मंत्रों में भी कुछ विधियां दी गयी हैं, जिनके माध्यम से इस प्रकार के कार्य के माध्यम से अप्सरा साधनाओं के माध्यम से पर प्राप्त करना अथवा जीवन की समस्या ओं को मिटाना और जीवन में निरन्तर करना गलत नहीं है।
साधु संन्यासी भी इसका उपयोग करते रहे है और फिर शाबर मंत्र तो स्वयं भगवान शिव अक्षर और उनके द्वारा सष्ट किए हरनमंत्री के माध्यम से ही मनोवांछित कार्य संपन्न होते है।
उर्वशी अपने आप में अत्यन्त सौन्दर्य युक्त अप्सरा है जो कि एक तरफ रूप और यौवन से परिपूर्ण है, तो दूसरी ओर धन और सुख-सौभाग्य देने में भी सफल है. इसीलिए उर्वशी साधना को जीवन का सौभाग्य माना गया है।इस प्रकार की साधना को तांत्रिक जहा में ‘भैरवी चक्र साधना’ कहा गया है, भैरवी का तात्पर्य – एक ऐसी देवी जो मन्त्रों के द्वारा साधक के लिए सिद्ध होकर उसका मनोवांछित कार्य संपन्न करती है, और इसी लिए उर्वशी जैसी अद्वितीय अप्सरा को सिद्ध करने और प्रिया रूप में उसे अपने अनुकूल बनाने में सिद्ध ऐसे प्रयोग को भी’भैरवी चक प्रयोग’ कहा गया है।
यह साधना वास्तव में ही शीघ्र सिद्धिदायक, पूर्ण प्रभावयुक्त और अचूक फल देने वाली है। यह मात्र दो दिन की साधना है। किसी भी शुक्रवार की रात्रि से यह प्रयोग प्रारम्भ होता है और शनिवार की रात्रि को समाप्त हो जाता है। इस साधना को पुरुष या स्त्री कोई भी सम्पन्न कर सकता है।
साधना काल में पुरुष सुन्दर वस्त्र धारण कर के बैठे, साधक चाहे तो धोती, कुर्ता या पैट-शर्ट आदि किसी भी प्रकार के उत्तम सुसज्जित वस्त्र धारण कर के उत्तर दिशा की ओर मुंह कर सामने बैठ जाए।
फिर सामने एक थाली में ‘श्य नमः’ अक्षर लिखें, और उसके आगे गुलाब या अन्य पुष्यों को विलकर उस पर भैरवी को स्थापित कर दें। इसे तांत्रिक ग्रन्थों में उर्वशी यंत्र, अप्सरा यन्त्र या भैरवी यन्त्र भी कहा है। यह यन्त्र महत्वपूर्ण और जीवन भर उपयोगी रहता है। फिर इस यंत्र की संक्षिप्त पूजा करें, और प्रार्थना करें कि-‘ अमुक जाति, अमुक नाम का पुरुष पूर्ण प्रेम एवं आत्मीयता के साथ शाबर मंत्र के द्वारा उर्वशी सिद्ध करने जा रहा है, जिससे कि उर्वशी प्रिया रूप में मेरे अधीन रहे, और जीवन भर, जैसी और से भी उसे पूरा करे”
इसके बाद इस यन्त्र के सामने शुद्ध घृत का दीपक लगाएं और पहले से ही मंगाया हुआ पान या जिसे संस्कृत में ताम्बूल कहते हैं, वह मुंह में रखकर चबा लें। पान में कत्या, चूना, सुपारी, इलायची आदि डाल कर ग्रहण करें। यह पान बाजार में कहीं पर भी पान वाले की दुकान पर मिल जाता है।
इसके बाद स्फटिक माला से निम्न मन्त्र का २१ बार उच्चारण करें, इसमें पूरी माला मंत्र जप का विधान नहीं है।
इस तरह साधक अप्सरा को सिद्ध करने की सरल और शक्तिशाली विधि का अनुसरण करके आप अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकते हो.
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