आज में योगिनी साधना देने वाला हु जिसका नाम हे कनकवती योगिनी साधना इस योगिनी की साधना से आप कनकवती की सिद्धि हासिल कर सकते हो, इस योगिनी को सिद्ध करके आप अपनी शरीर की रक्षा कर सकते हो किसीकी तंत्र विधा का काट कर सकते हो और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आप इस योगिनी को सिद्ध कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे कनकवती योगिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
साधक को चाहिये कि वह वट वृक्ष के नीचे बैठकर कनकवती योगिनी का पूजन करे । ह्रीं मन्त्र से प्राणायाम तथा ह्रीं अंगुष्ठाभयं नमः इत्यादि प्रकार से करान्यास करे । स्वच्छ होकर सधोमंस द्वारा बलि प्रदान पूर्वक पूजा करे । उच्छिष्ट रक्त द्वारा प्रर्य प्रदान करके प्रतिदीन पूजा करनी चाहिये।
इस योगिनी के ध्यान का स्वरूप निम्नानुसार है-
यह देवी प्रचण्नड वदना है, अधर पके हुए विम्बाकृत के समान रक्त वर्ण हैं तथा इनके वस्त्रादि भी सालवर्ण के है। यह बालिका रूपिणी तथा साधक को सम्पूर्ण कामनायें देने वाली है।
चिन्तन के हम स्वरूप का निम्नलिखित श्लोक में वर्शन किया गया है-
प्रचण्टवदना देवी पनव विम्दादरा प्रिये।
रक्ताम्बरधरां बाला सर्वकामरदां सुभाम् ।
योगिनी के उक्त स्वरूप का ध्यान करते हुए प्रतिदिन दस सहस्त्र की संख्या में मन्त्र जप करना चाहिये।
मन्त्र
ॐ ह्रीं हुं रक्षकर्मणि आगच्छ कनकवति स्वाहा ।
इस मन्त्र का सात दिन तक पूजन और जप करते हुये पाचवें दिन यथाविधि पूजन करे तथा मनोहर बलि प्रदान पूर्वक आधी रात तक मन्त्र का जप करे। उस समय देवि साधक को द्रढ़ प्रतिग्न जानकर उसके घर आती है। तब साधक को देवी का पूजन करना चाहिये । इस साधन में योगिनी अपनी सभी कामों सहित साधक की भार्या होकर उसे विविध प्रकार की अभिलाषित भोग्य वस्तुये प्रदान करती हैं या अपने आभूषण वस्त्रादि का परित्याग कर, अपने घर को चली जाती हैं और फिर प्रतिदिन आती रहती हैं।
विद्वान् साधक को चाहिये कि इस प्रकार सिद्धि करके अपनी भार्या (पत्नी) का परित्याग कर, कनकावती योगिनी का भजन परे।
इस तरह साधक कनकवती योगिनी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे.
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