चंद्रज्योत्सना अप्सरा

आज में आपको चंद्रज्योत्सना अप्सरा मंत्र  देने वाला हू जिसको सिद्ध करके आप चंद्रज्योत्सना अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकते हो, आज में इस पोस्ट में आपको पूरी जानकारी देने वाला हु आप इस विधि विधान का प्रयोग करके सिद्धि हासिल कर सकते हो,

तो चलिए विस्तार से जानते हे चंद्रज्योत्सना अप्सरा मंत्र  की सिद्धि कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

इस  साधना  को  किसी भी पूर्णिमा को, शुक्रवार को अथवा किसी भी विशेष दिन प्रारम्भ करें।

साधना  प्रारम्भ  करने से पूर्व साधक को चाहिए कि स्नान  आदि से निवृत होकर अपने सामने चौकी पर गुलाबी  वस्त्र  बिछा  लें,  पीला या सफ़ेद किसी भी आसान  पर  बैठे,  आकर्षक  और सुन्दर वस्त्र पहनें  पूर्व  दिशा  कि  ओर मुख करके बैठें  घी का दीपक जला  लें   सामने चौकी पर एक थाली या प्लेट रख लें,  दोनों  हाथों में गुलाब कि पंखुडियां लेकर रम्भा  यंत्र  पर आवाहन करें।

 ॐ चंद्रज्योत्सने अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते

यह  आवश्यक है कि यह आवाहन कम से कम १०१ बार  अवश्य  हो प्रत्येक आवाहन मन्त्र के साथ एक गुलाब के पंखुड़ी थाली में रखें। इस प्रकार आवाहन से पूरी थाली पंखुड़ियों से भर दें।

अब  अप्सरा  माला  को  पंखुड़ियों के ऊपर रख दें इसके  बाद  अपने  बैठने के आसान पर ओर अपने ऊपर इत्र छिडके।

चंद्रज्योत्सनात्कीलन  यन्त्र को माला के ऊपर आसान पर स्थापित करें और  गुटिका को यन्त्र के दाँयी ओर तथा  यन्त्र  के  बांयी  ओर स्थापित करें। सुगन्धित अगरबती  एवं घी का दीपक साधनाकाल तक जलते रहना चाहिए।

सबसे  पहले  गुरु पूजन ओर गुरु मन्त्र जप कर लें। फिर यंत्र तथा अन्य साधना सामग्री का पंचोपचार से पूजन  सम्पन्न  करें।  स्नान, तिलक, धुप, दीपक एवं पुष्प चढावें।

इसके  बाद  बाएं  हाथ  में गुलाबी रंग से रंगा हुआ चावल  रखें,  ओर निम्न मन्त्रों को बोलकर यन्त्र पर चढावें।

|| ॐ दिव्यायै नमः ||

|| ॐ प्राणप्रियायै नमः ||

|| ॐ वागीश्वये नमः ||

|| ॐ ऊर्जस्वलायै नमः ||

|| ॐ सौंदर्य प्रियायै नमः ||

|| ॐ यौवनप्रियायै नमः ||

|| ॐ ऐश्वर्यप्रदायै नमः ||

|| ॐ सौभाग्यदायै नमः ||

|| ॐ धनदायै चंद्रज्योत्सने नमः ||

|| ॐ आरोग्य प्रदायै नमः ||

इसके  बाद  उपरोक्त  चंद्रज्योत्सना माला से निम्न मंत्र का ११ माला प्रतिदिन जप करें।

प्रत्येक  दिन  अप्सरा आवाहन करें, ओर हर शुक्रवार को  दो  गुलाब कि माला रखें, एक माला स्वंय पहन लें, दूसरी  माला को रखें, जब भी ऐसा आभास हो कि किसी का आगमन हो रहा है अथवा सुगन्ध एक दम बढने  लगे  अप्सरा  का बिम्ब नेत्र बंद होने पर भी स्पष्ट  होने  लगे  तो दूसरी माला सामने यन्त्र पर पहना दें । २७ दिन कि साधना प्रत्येक दिन नये-नये अनुभव होते हैं, चित्त में सौंदर्य भाव बढने लगता है, कई  बार तो रूप में अभिवृद्धि स्पष्ट दिखाई देती है। स्त्रियों  द्वारा  इस  साधना  को सम्पन्न करने पर चेहरे पर झाइयाँ इत्यादि दूर होने लगती हैं |

चंद्रज्योत्सना अप्सरा

मंत्र…

ॐ   हृीं   चंद्र   ज्योत्सने   आगच्छ आज्ञां पालय मनोवांछितं देहि ऐं ॐ नमः

यदि  किसी  अविवाहित  जातक को विवाह होने में बार-बार  बाधाओं  का सामना करना पड़ रहा हो तो नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजुली जलं ”विश्वावसु” गंधर्व  को अर्पित करें और निम्न मंत्र का १०८  बार मन ही मन जप करें।

सायंकाल  में  भी  एक माला जप मानसिक रूप में किया जाए। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुयोग्य कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है।

इस  प्रकार  से  विश्वावसु  नामक  गंधर्व को सात अंजुली  जल  अर्पित  करके उपरोक्त मंत्र/विद्या का  जप  करने  से  एक  माह  के  अंदर  अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार :

पानीयस्यान्जलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां  जपेत्।
सालंकारां  वरां   कन्यां,  लभते   मास  मात्रतः॥

ॐ विश्वावसु गंधर्व  कन्यानामधिपति।
सुवर्णा  सालंकारा  कन्यां देहि मे देव॥

इस तरह आप चंद्रज्योत्सना अप्सरा मंत्र की सिद्धि हासिल कर सकते हो और उसके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो.

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