ध्यान योग

प्राचीन काल में साधू संत और जो हमारे रुषी मुनि थे वो कई सालो तक ध्यान में बैठते थे,ध्यान करने से आपको अलौकिक शक्ति प्राप्त होती हे और साथ साथ आपकी कुंडलिनी शक्ति जागृत भी हो जाती हे,आज में आपके लिए एक ऐसा मंत्र लेकर आया हु जिसका मंत्रजाप करना हे और साथ साथ ध्यान भी लगाना हे,इस मंत्र की खासियत ये हे की आप ध्यान योग में बैठकर दूर की चीज़ को भी देख सकते हो और ये पता भी लगा सकते हो की वहां क्या हो रहा हे वो भी आप आसानी से जान सकते हो,

ध्यान एक संस्कृत शब्द है जो मन के एकाग्रता या एकाग्रता की स्थिति को दर्शाता है। इसे अंग्रेजी में “meditation” के रूप में भी जाना जाता है। ध्यान एक प्रभावी तकनीक है जिसका उद्देश्य मन को शांत करना, स्थिर रखना और अपनी चेतना को एक स्थिर ध्यान में ले जाना होता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास भी हो सकता है जो व्यक्ति को अपनी आत्मा और ब्रह्मांड के साथ जोड़ने की अनुमति देता है।

पहेले रुषी मुनि के के पास किसीसे बात करने के लिए आधुनिक उपकरण नहीं था वो इसी ध्यान के जरिये अपनी बात दुसरे के पास भेजा करते थे,ये अभ्यास थोडा कठिन हे पर अगर दृढ संकल्प के साथ इस साधना करोगे और पूर्ण विस्वास के साथ साधना करोगे तो इसका परिणाम आप खुद देख सकते हो,

ध्यान योग में बैठकर दूर तक क्या चल रहा हे उस जगह का माहोल कैसा वो सब जान सकते हे,तो चलिए विस्तार से जानते हे ध्यान योग में बैठकर सब कुछ कैसे जान सकते हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

ध्यान योग

मंत्र

ॐ रमास्य रमास्य रमामि!

जननी जन्म दाति कश्यन्ति कश्यन्ति!

श्यामला श्यामला भ्रमान्ति!

लक्ष्मणे लक्ष्मणे तारुण विधान्तिः

भाग्य भ्राग्य तपस्यन्ति तपस्यन्ति!

शिरोमणि शिरोमणि गुरुत्वा भस्यन्तिः

योगीराज योगीराज तपस्यन्ति!

यदा यदा नमर्दे भास्क्रान्ति!

मरधग मरघग वाजान्तिः

खकुंरी खकुंरी बाजतः निश्चिन्तिः

लक्ष्मेः लक्ष्मेः यमामी चलयन्तिः

गुरुत्वा गुरुत्वा भानु प्रियान्तिः

नजरान्तिः नजरान्तिः पवन चलयन्तिः

भ्रमेणी भ्रमेणी सरस्वते: गच्छन्तिः

प्रलानी प्रलानी दमयन्तिः

शुभद्रा सीता रुकमणी नजरयान्ति,

भानू भान् प्रियान्तिः

संसार, व्यापन: करिश्यतिः

धर्म धर्म यदाचितम्!

कर्मेण, कर्मेण भारत भूमेण तपस्यन्तिः

इति सिद्धम्!!

विधि विधान

इस क्रिया यानि की साधना का प्रारम्भ आप किसी भी शुभ अवसर पर कर सकते हो,सुबह और शाम उपर्युक्त मंत्र का जाप करते हुई आपको डेढ घंटे तक ध्यान लगाना हे थोड़े दिन आप पूरी तरह से ध्यान नहीं लगा पाओगे जब आपका दिमाग स्थिर हो जायेगा तब आप पुरा ध्यान लगा सकते ह,ये साधना आपको ४१ दिन तक लगातार करनी हे तब जाके आपको सफलता मिलेगी और आप खुद इसका रिजल्ट देख सकते हो,ध्यान योग में बैठकर आप दूर तक क्या हो रहा हे वो भी जान सकते हो,ये साधना बहुत ही प्राचीन साधना हे और गुप्त साधना हे इसलिए साधक को इस साधना का जिक्र नहीं करना हे.

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