पितृ को बुलाने

पितृ के बारे में सब जानते ही होंगे की पितृ कैसे सबको हेरान करता हे जब तक उसका कार्य नहीं होता तब तक पितृ आपका कार्य बनने नहीं देता,आज में आपको पितृ बुलाने और उनसे कार्य करने का मंत्र लेकर आया हु जिसका प्रयोग करके आप पितृ को बुला सकते हो और उनसे कार्य करा सकते हो,

तो चलिए विस्तार से जानते हे पितृ को बुलाने का और उससे काम करने का मंत्र कैसे काम करता हे और उसकी विधि क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

पितृ को बुलाने

मंत्र

मूत्र गधे का रवि दिन लावे। जमी पड़न ना पावे।

गूगर खेय कहीं धरि देवे नैंनन मांझ लगावे ॥

पितृ देव सब देंहि दिखाई रात्रि समें जो कीजे ।

जतन करे सो चूके नाहीं तौर न देखि पसीजे।।

चरित्र देखे

मूल चिर्मिटी रुई में बाती धरे बनाय।

कारी गैया घिरत ले दीपक मांझ भराय ॥

चौका दे दीपक धरे गूगर खेवे ताय ।

ले सिन्दूर पूजा करे कछु चरित्र दरसाय ॥

चित्र रोवे

जबै गर्भिणी जणे जो बालक तब इतना छल कीजे ।

झिल्ली जो बालक के ऊपर सो मंगाय के लीजे ॥

धरे सुखाय कोई नहीं जाने जहां जतन यह कीजे।

मूरत जहां चित्रसाला में तिनको धूनी दीजे ॥

झिल्ली जरे धुआं जब लागे दृष्टि सवन की आवें।

रोवे चित्र जहां लग जेते आंसू नैन बहावें ।

विधि विधान

ये मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र हे और गुप्त मंत्र माना जाता हे आपको इस मंत्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं हे क्योकि ये मंत्र स्वयं सिद्ध मंत्र हे,आपको पवित्र होकर ५ अगरबत्ती लेनी हे और गाय के घी का दिपक प्रज्वलित करना हे फिर आपको उपर्युक्त मन्त्र की १ माला करनी हे ये विधि आपको लगातार ११ दिन तक करनी हे ऐसा करने से आपका जो भी पित्र गण हे वो जागृत हो जायेगा और उनसे आप कार्य भी करा सकते हो,

इस तरह आप पितृ को बुला सकते हो और उनसे कार्य भी करा सकते हो.

पितृ बुलाने और उनसे काम कराने के लिए आप निम्नलिखित मंत्र का उपयोग कर सकते हैं:

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं पितृभ्यः नमः”

आप इस मंत्र का जाप करते हुए पितृदेवताओं को बुला सकते हैं और उनसे काम करवा सकते हैं। यह मंत्र पितृदेवताओं को समर्पित है और उन्हें सम्मानित करने का एक विशेष तरीका है।

ध्यान दें कि पितृदेवताओं के साथ संवाद करने और काम करवाने के लिए, आपको एक शुद्ध और पवित्र स्थान पर, उचित समय और उचित मार्गदर्शन के साथ इस मंत्र का जाप करना चाहिए। यदि आप इन संबंधित मामलों में निपुण नहीं हैं, तो आपको किसी पंडित या धार्मिक गुरु से सलाह लेना चाहिए।

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