बटुक भैरव आरती

बटुक भैरव बहुत ही शक्तिशाली देव माने जाते हे,भैरव को शिव का गण भी कहा गया हे, भैरव की साधना दरिद्रता नाश,मनोकामना पूर्ति और शत्रुनाश के लिए की जाती हे,आज में आपको इस पोस्ट के जरिये आरती देने वाला हु इस आरती आपको सुबह और शाम करनी हे,

ॐ जय भैरव  देवा, प्रभु जय भैरव देवा, सुर नर मुनि  सब  करते, प्रभु तुम्हरी सेवा ॥

तुम्ही पाप  उद्धारक दुःख सिन्धु तारक, भक्तो से सुख कारक, भीषण वपु धारक ॥

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल  धारी,  महिमा अमित तुम्हारी, जय जय भयहारी ॥

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे, चतुरवर्तिका दीपक, दर्शन दुःख खोवे ॥

तेल चटकी दधि मिश्रित  भाषावाली  तेरी,  कृपा कीजिये भैरव, करो नहीं देरी ॥

पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू डमकावत, बटुकनाथ बन बालक, जन मन हरषावत ॥

श्रीभैरव  की  आरती  जो कोई नर गावे, सो नर जग में निश्चित नर मनवांछित फल पावे॥

बटुक भैरव आरती

भैरव आरती

आरती श्री बटुक भैरव की,

काली कराल रूप दिखाई।

नगर में विचारु मुख फेरें,

देह शोभा खांडित कराई॥

जटामुकुट लाल टोपी धारी,

भुजा त्रिशूल धरन कीन्हा।

भूत प्रेत पिशाचन सब रोगी,

संकट से मुक्ति लेनहीं कीन्हा॥

दिगंबर मुकुट माथे सोहै,

गणेश के संग पासारा।

सोहै तीन लोक भूत त्रिभुवन,

सब भक्त आदि संकर धारा॥

भक्तन की रक्षा तू करता,

तारक मंत्र ग्रंथ गहिराई।

बटुक भैरव नाम तिहारों,

तिलक त्रिपुंड धारी भराई॥

कर कटक करें तू ललाट पर,

नाग जोड़ी नृत्य धारण।

ब्रह्मा विष्णु शंकर आदि देवों,

करते तुझको प्रणाम स्वीकार॥

आरती जय बटुक भैरव की,

काली कराल रूप दिखाई।

नगर में विचारु मुख फेरें,

देह शोभा खांडित कराई॥

इति श्री बटुक भैरव आरती सम्पूर्ण॥

यह आरती बहुत पवित्र मानी जाती है। इस आरती का पाठ करने से भगवान बटुक भैरव की कृपा प्राप्त होती है और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस आरती को नियमित रूप से पाठ करने से भक्त की रक्षा होती है और उन्हें सुख, समृद्धि, शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।

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