भैरवी ध्यान

जो साधक माता भैरवी की साधना और उपासना करना चाहते हे उस साधक को साधना से पूर्व ध्यान करना जरुरी हे,आप साधना से पूर्व भैरवी आरती,स्तुति और ध्यान करोगे तो आपको साधना में जल्द से जल्द सफलता मिल सकती हे,

योगासन:

सबसे पहले, एक सुखासन या पद्मासन की भावना में बैठें, ताकि आपका शरीर स्थिर और सुखमय हो।

शुद्धि करें:

ध्यान शुरू करने से पहले अपने शरीर और मन की शुद्धि करें, जैसे कि आप एक गहने ध्यान अवस्था में पूजा करते समय करते हैं।

माला का उपयोग:

एक माला (जापमाला) का उपयोग करके माता भैरवी के मंत्र का जाप करें। आप माता भैरवी के मंत्र “ॐ ह्रीं भैरवी मात्रेये नमः” का जाप कर सकते हैं।

ध्यान केंद्रित करें:

अपने मन को माता भैरवी के रूप, चरण, और मूर्ति पर केंद्रित करें।

ध्यान की गहराई:

ध्यान को गहराई से करें और माता भैरवी के सामर्थ्य, दयालुता, और कृपा के आभास को महसूस करें।

मन को शांति दें:

मन को शांत करने के लिए देवी की प्रतिमा, मूर्ति, या चित्र को दृष्टि में लाएं और उसे दृढ़ता से देखें।

माता भैरवी का आराधना:

आप माता भैरवी के चरणों में पुष्प चढ़ाकर, दीप जलाकर, और पूजा करके आराधना कर सकते हैं।

ध्यान से विचार:

ध्यान के दौरान, माता भैरवी के गुणों, शक्तियों, और आदर्शों को अपने मन में विचार करें और उनके साथ एकाग्रता बनाएं।

समाप्ति:

ध्यान समाप्त होने पर, आप माता भैरवी के आशीर्वाद का प्राप्ति करने के लिए प्रार्थना करें और ध्यान को समाप्त करें।

ध्यान का लक्ष्य माता भैरवी के साथ एक साक्षात्कार करना और उनके आदर्शों का अनुसरण करना होता है। यह आपके मानसिक शांति, आत्मा के साथ साक्षात्कार, और सद्गुणों की विकसन में मदद कर सकता है।

भैरवी ध्यान

भैरवी ध्यान

उद्यद्भानुसहस्रकान्तिमरुणक्षौमां शिरोमालिकाम् ।

रक्तालिप्तपयोधरा जपपटी विद्यामभीति वराम् ॥

हस्ताब्जर्दधतीं त्रिनेत्रविलसद्रक्तारविन्दश्रियम् ।

देवों बद्धहिमांशुरत्नमुकुटां वन्दे सुमन्दस्मिताम् ॥

साधना से पूर्व आपको उपर्युक्त ध्यान का जाप करना चाहिए फिर साधना का प्रारम्भ करना चाहिए.

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