आज में साधक मित्रो के लिए अष्ट योगिनी में से एक मधुमती योगिनी साधन लेकर आया हु इस साधना करके आप मधुमती की सिद्धि हासिल कर सकते हो और उसके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मधुमती योगिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
साधक को चाहिए कि वह भोजपत्र पर कुकुम द्वारा स्त्री की प्रतिमूर्ति बनाकर उसके बाह्य भाग में अष्टदल कमल अंकित करके न्यासादि करे और उसमें प्राण प्रतिष्ठा करके प्रसन्नचित से देवी का ध्यान करे।
देवी के ध्यान इस प्रकार बताया गया है-
मधुमती योगिनी देवी विशुद्ध स्फटिक के समान शुभ्र वर्ण वाली हैं। अनेक प्रकार के आभूषणों से सुशोभित तथा पावजेव, हार, केयूर एवं रत्न जटिल कुण्डलों से सुसज्जित है।
निम्नलिखित श्लोक में मधुमती योगिनी के ध्यान के स्वरूप का वर्णन किया गया है-
शुद्धस्फटिकसंकाशा नानालंकारभूषिताम् ।
मञ्जीरहारकेपूररत्नकुण्डलमणिताम् ।।
इस प्रकार देवी का ध्यान करते हुए प्रतिदिन एक सहस्त्र की संख्या में मूल मन्त्र का जप करना चाहिए।
मूल मन्त्र इस प्रकार हे।
ॐ हीं आगच्छ अनुरागीणि मैथुनप्रिये स्वाहा ।
प्रतिपदा तिथि से साधन प्रारम्भ करके पुष्प,धूप, दीप, नैवेद्य आदि उपहारों सहित तीनों संध्या मे देवी का पूजन करे। इस प्रकार एक मास तक पूजन और मंत्र जाप करके पूर्णिमा के दिन गंधादी उपचारो से देवी का पूजन करे तथा धृत का दीपक जला कर और पूजा देकर दिन-रात मंत्र का जप करे।
इस तरह पूजन और जप करने पर प्रभात के समय देवि साधक के समीप आती है और प्रसन्न होकर उसे रति एवं भोज्य पदार्थों द्वारा सन्तुष्ट करती है। तदुपरान्त वे साधक को प्रतिदिन देवकन्या दानव-कन्या, नाग-कन्या, यश-कन्या, गन्धर्व-कन्या. विद्याधर-कन्या तथा विविध प्रकार के रत्न, आभूषण, चर्य, गोयले भोग्यादि पदार्थ प्रदान करती हैं। स्वर्ग, तथा पाताल में जो भी वस्तुयें विद्यमान हैं, उन सबको साधक की इच्छानुसार लाकर उसे समर्पित करती है तथा प्रतिदिन सौ स्वर्ण-मुद्रा भी प्रदान करती है।
वे प्रतिदिन साधक को अभिलाषित कर अपने स्थान को प्रस्थान कर जाती है। देवी के प्रसाद से साधक निरामय शरीर (स्वस्थ) होकर चिरकाल तक जीवित रहता है। देवि के वर से साधक सर्वज्ञ, सुन्दर कलेवर वाला तथा श्रीमान होता है। उसे सब जानने की सामर्थ्य प्राप्त हो जाती है। यह प्रतिदिन योगिनी देवी के साथ क्रीडा कौतुकादि का सुख प्राप्त करता है। यह सब कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला हो जाता है। समस्त सिद्धियों में मधुमती देवी अत्यन्त शुम हैं।
इस तरह साधक मधुमती योगिनी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे.
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