अप्सरा को साक्षात् प्रेम की मूर्ति माना जाता हे, जब जब सौन्दर्य की बात आती हे तब तब अप्सरा का नाम अपने होंठो पर आ जाता हे,अप्सरा की साधना प्राचीन काल से चली आ रही हे,आज में आपको मेनका अप्सरा साधना की विधि देने वाला हु जिसको सिद्ध करके आप मेनका अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मेनका अप्सरा साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मेनका ने अपने रूप और सौंदर्य से तपस्या में लीन विश्वामित्र का तप भंग कर दिया। विश्वामित्र सब कुछ छोड़कर मेनका के ही प्रेम में डूब गए। मेनका से विश्वामित्र ने विवाह कर लिया और मेनका से विश्वामित्र को एक सुन्दर कन्या प्राप्त हुई जिसका नाम शकुंतला रखा गया। शकुंतला छोटी ही थी, तभी एक दिन मेनका उसे और विश्वामित्र को छोड़कर फिर से इंद्रलोक चली गई। इसी पुत्री का आगे चलकर सम्राट दुष्यंत से प्रेम विवाह हुआ, जिनसे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। यही पुत्र राजा भरत थे। मरुद्गणों की कृपा से ही भरत को भारद्वाज नामक पुत्र मिला। भारद्वाज महान ऋषि थे। चक्रवर्ती राजा भरत के चरित का उल्लेख महाभारत के आदिपर्व में भी है। इसी भरत के कुल में राजा कुरु हुआ और उनसे कौरव वंश की स्थापना हुई। कुरु के वंश में शान्तनु का जन्म हुआ। शान्तनु ने गंगा और सत्यवती से विवाह किया था। इसके मतलब यह कि उर्वशी के वंश को ही बाद में मेनका ने आगे बढ़ाया।
मंत्र
ॐ सः ह्रीं मेनके आगच्छ आगच्छ ॐ ||
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधक को ४१ दिन की साधना करनी पड़ेगी,एकांत स्थल पर जाकर मेनका अप्सरा का आह्वाहन करके साधना का प्रारम्भ कर सकते हो,४१ दिन तक आपको ५ माला उपर्युक्त मंत्र की करनी हे ४१ दिन के अन्दर अप्सरा साधक के सामने प्रगट होकर इच्छित वरदान देती हे,
इस तरह साधक मेनका अप्सरा साधना करके मेनका अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकती हे.
यह भी पढ़े