मोहम्मद पीर साधना सिद्धि

आज में आपको इस पोस्ट के जरिये मोहम्मद पीर साधना सिद्धि कैसे होती हे उसके बारे में बताने वाला हु पीर की साधना में साधक को विशेष रूप से स्वछता का ध्यान रखना जरुरी होता हे और दारू मांस,मछली का सेवन करना वर्जित माना गया हे,

मोहम्मद पीर जी को भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही महत्वपूर्ण संत माना जाता हैं। उनकी साधना में भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों का समन्वय होता हैं। उनकी साधना को अपनाने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन किया जा सकता हैं:

१. ध्यान करना: ध्यान एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधना है जिसके द्वारा हम अपने मन को शांत करते हैं। मोहम्मद पीर जी की साधना में ध्यान एक महत्वपूर्ण भाग है। आप दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास के लिए ध्यान की विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं।

२. भजन गाना: मोहम्मद पीर जी के भजन गाने उनकी साधना में एक महत्वपूर्ण भाग थे। आप भी उनके भजन गानों को सुनकर उन्हें समर्पित कर सकते हैं। यह आपको अपने मन को शांत करने और आध्यात्मिकता को बढ़ाने में मदद करेगा।

३. सेवा करना: सेवा करना मोहम्मद पीर जी की साधना में बहुत ही महत्वपूर्ण भाग था।

मोहम्मद पीर साधना सिद्धि

मंत्र

पैगामें जहाँ निसार हकिक नवाबि,

गुजरा हुआ द्वीप अल्लाह पनाह

ताज हकुमतें दुनिया ताबिर शानें सोंकत

मजार मक्का मदिना जाफरनामा कबुल करियें।

तुम्हारा परिन्दा खिंदमत हाजिर मोहम्मद अल्लाह

मक्का मदिना कबुल फरमाइयें,

मैं परिन्दा जहाँ का आपकी खिदमत में हाजिर हूँ।

मेरी खामोसी भरी आवाज सुनियें

जो अल्लाह का बन्दा, लोगों की परवरिस शानें

शोकत की भीख मांगता है कबुल फरमाईयें

मक्का मदिना की कलम से ताबिज धरती के नुमाईन्दों जो दर्द के कागार पर खड़े हैं

उन नुमाईन्दों के लिए आपने भेजा है।

अल्लाह हों इल्लाही, फारसी हिन्दु मुसलिम,

सिख, ईसाई सबका ताबेदार हूँ।

अल्लाह अल्लाह ईश्वर का नाम है।

इति सिद्धम्

एक एक लब्ज अपनी बनी कलम से परवानों के लिए ताबिज दीजिए। मैं अल्लाह का बन्दा, इस जमी पर खुदा का फरिस्ता याकुब तालानामा लियाकत अली 9.30 बजे रात से 12 बजे तक सफेद पत्थर के मोती की माला 71 दाने 5 बार करना है रटने के बाद 71 तेल के चिराग जलाकर 90 लोंग डालनी है 7 बार इत्र छिड़कना है प्रत्येक बार फरमान जारी करना है

इमाम अश्कन, इमाम अश्कन इमाम अश्कन

तगमिनार तगमिनार तगमिनार

हाजिर करो हाजिर करो हाजिर करो

यकबरि जमनिसादर परवाना

फरकतति असकर मोहम्मद

मुकमुल्ला फरीम जहाँपनाह

मकरीर तज्जबुन याकरान्

बलबली हगमं यजाकाबिज

बैपनाही दसमुल्लाह तफसरीन

तारिख निमाही इमामी हिदकाइरोनन

फरीस्ते फरीस्ते फरीस्ते

कब्ज हाजिम कब्ज हाजिम

कब्ज हाजिम!!

इस तरह साधक मोहम्मद पीर साधना सिद्धि कर सकता हे,पीर बाबा की सिद्धि के बाद साधक परोपकार का कार्य कर सकता हे और दुसरे के दुःख को आसानी से दूर कर सकता हे.

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