सर्प और बिच्छु का ज़हर बहुत ही खतरनाक होता हे वो जिसको दचता हे उसकी जान ले लेता हे,आज के आधुनिक समय में इसका इलाज संभव हे तो जितना हो सके उतना इसका इलाज अस्पताल में ही करना चाहिए,हम यहाँ जो सर्प विष निवारक मंत्र दे रहे हे वो सिर्फ ज्ञान हेतु दे रहे हे क्योकि इस मंत्र और साधना का प्रयोग करना सबकी बात नहीं हे जो बड़े बड़े तांत्रिक और अघोरी हे वही ही इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हे,
प्राचीन काल में इस मंत्र का प्रयोग बहुत हुआ करता था क्योकि उस समय में औषधि का या अस्पताल का अविष्कार नहीं हुआ था तब अघोरी और तांत्रिक लोग मंत्र का प्रयोग करके सर्प और बिच्छु का ज़हर उतारते थे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे सर्प विष निवारक मंत्र कैसे सिद्ध किया जाता हे और उसका प्रयोग कैसे किया जाता हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र:-
ॐ लहरि लहरि तुरङ्ग ते मारो।
देखि भूत ब्रह्माण्ड खू मारो॥
दूर पाटन बसे कबीर, तहाँ से आई झिलिमिलि फूल, ऐसी माटी दूर धसि हीरा बेधो आय । ताहि माटि निज हंस पियारा, विष धर के मन्त्र सर्व जब लागे, खारवले मुख मोरि, दोहाई सत्य नाम के, सर्प के विष माटी हो जाय, दोहाई उत्तरा कुंवर के। उतर जाय, उतर जाय, उतर जाय।
विधि-
उक्त मन्त्र- सिद्धयर्थ उत्तरा नक्षत्र जब लगे, अर्थात् १५ दिनों के लिए जो वर्षायन नक्षत्र आता है, उसमें किसी भी एक दिन सवा पाव (पक्का तौल) गो-घृत द्वारा आम की सामधा में उक्त मन्त्र द्वारा १०८ आहुतिया दै। इससे मन्त्र सिद्ध होता है। सर्प – दश वाले व्यक्ति का वस्त्र-धोती, गमछा या कुर्ता, जो भी काटने के समय वह पहने हो, उस कपड़े को मन्त्र का उच्चारण करते हुए एठे और फिर उस वस्त्र को भूमि पर रख दे। तब सर्प द्वारा काटे गए व्यक्ति को उस कापड़ के पार बीठा या लिटा दे । खूब महीन मिट्टी लेकर उपर्युक्त मन्त्र द्वारा उस मिट्टी को अभिमन्त्रित कर एठे हुए कपड़े पर छिड़के और काटे हुए व्यक्ति को कपड़े को लोधने को कहे ।
इस प्रकार २१ बार ‘लोम-विलोम’ अथति वीच के एठे हुए कपड़े को दोनों ओर लांघन से सर्प-विष दूर होकर मनुष्य सुखी हो जाता है । यदि व्यक्ति मूञ्छित हो गया हो, तो दो आदमी उसको पकड़ कर कपड़े को सँघा दे । ३-४ बार ऐसा करने से वह मूच्छित व्यक्ति सचेत होकर अपने आप कपड़े को लाँघने लगेगा और पूर्ण निर्विष होकर अपना जीवन जीने लगेगा।
सर्प स्तंभन का मंत्र
मंत्र
बजरी बजरी बजर किवाड़ बजरी कीलुं आस-पास मरे सांम होय खाक,
मेरा कीला पत्थर फूटे न गेर कोला छूटे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र
ईश्वरो वाचा।
विधि विधान
शिवरात्रि के दिन से आरंभ कर इस मंत्र का सवा लाख जप पूरा करें। इस प्रकार मंत्र के सिद्ध हो जाने पर गाय के गोबर की राख लेकर उसे मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कर सर्प के ऊपर डाल दें। इसके प्रभाव से उसका उसी समय स्तंभन हो जाएगा।
इस तरह सर्प विष निवारक मंत्र का प्रयोग करके आप सर्प का ज़हर उतार सकते हो,इस मंत्र का प्रयोग वही साधक ही करे जिसके पास कोई तगड़ी साधना हे या उसने किसी भी शक्ति की सिद्धि हासिल कर राखी हे वही साधक ही इस मंत्र का प्रयोग करे.
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