अष्ट नागिनी साधना एक बड़ी साधना मानी जाती हे जो साधक निडर होकर साधना करेगा उसको जरुर सफलता मिल सकती हे,
अष्ट नागिनी साधना एक परंपरागत तंत्रिक प्रथा हो सकती है, जिसे कुछ तंत्रिक साधक अपने आध्यात्मिक और तांत्रिक साधना में अपनाते हैं। यह एक प्रकार की नागा कुल की पूजा और साधना हो सकती है, जिसमें अष्ट नागिनियाँ (एक्ष्ट नागिनियाँ) की उपासना की जाती है। नागिनियाँ नागों की शक्ति की प्रतीक हो सकती हैं और तंत्रिक साधना में उनके साथ काम किया जाता है।
अष्ट नागिनी साधना में अक्सर कुछ मंत्र, पूजा विधियाँ, ध्यान तकनीकें और जाप शामिल हो सकते हैं। साधक को इस प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक और समर्पणभाव से करना होता है, जिससे उन्हें अष्ट नागिनियों के साथ संबंधित शक्तियों और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
अष्ट नागिनी साधना किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है, क्योंकि यह विशिष्ट तंत्रिक ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता होती है। यदि आप इस प्रकार की साधना करने का विचार कर रहे हैं, तो मैं सुझाव दूंगा कि आप इसे विशेषज्ञ गुरु या तंत्रिक पंडित से सीखें और केवल ध्यानपूर्वक और सावधानी से करें। ध्यान रखें कि तंत्र साधना को अवैध और दुष्प्रभावकारी उद्देश्यों के लिए कभी नहीं किया जाना चाहिए।
अब आठ प्रकार की नागिनियों को सिद्ध करने के मंत्र और उनकी साधन विधि का वर्णन किया जाता है। तंत्र शास्त्रों में लिखा है कि किसी भी नागिनी का साधन करते समय उसकी माता, बहन अथवा पत्नी के रूप में चिन्तन करना चाहिये । साधक द्वारा जिस नागिनी का जिस रूप में भी चिन्तन किया जायगा, वह उसी रूप में उसकी मनोभिलाषा को पूर्ण करती है।
निचे सबसे पहले नागिनी साधन के विभिन्न मन्त्र दिये गये हैं, तदुपरान्त उनकी साधन विधियों का वर्णन किया गया है। जिस प्रकार से साधन किया जाय, उसकी साधन विधि में नागिनी के माता बहन अथवा पत्नी में से जिस स्वरूप का वर्णन किया गया है- उस साधन विधि में नागिनी के उसी स्वरूप का चिन्तन करना चाहिये।
नागिनियों को संख्या सरथ कही गई है। उनके नाम इस प्रका १. अनन्त मुखी, २. कर्कोटमुखी, ३. पदिमनी मुखी, ४. तक्षक मुखी, ५. महापद्म मुखी, ६. वासुकी मुखी, ७. कुलीर मुखी और शंखनी।
नागिनी मंत्र
ॐ हुम हुम शंखिनी वायूमुखी हुम हुम !!
इस मंत्र का जाप करके आप अष्ट नागिनी की सिद्धि प्राप्त कर सकते हो, ये मंत्र बहुत ही शक्तिशाली और तीव्र माना जाता हे,नागिनी की साधना करने से पहले साधक को नागिनी यन्त्र की पूजा करनी पड़ती हे और दृढ संकल्प लेकर साधना का प्रारम्भ करना चाहिए,में यहाँ आपको अष्ट नागिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से बताता हु,
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
साधना का प्रारम्भ आपको रविवार से करना हे रात १२ बजे के बाद साधना का प्रारम्भ करे पहले गुरु पूजन,गणेश पूजन और इष्ट पूजन करे फिर नागिनी यन्त्र की पूजा करे फिर उपर्युक्त मंत्र की एक माला करे और साधना के दरमियाँन दुप दीप भी करे ये विधि लगातार ११ दिन तक करे,११ दिन के अन्दर नागिनी प्रसन्न होकर आपको वचन देगी,साधक को उससे मनचाहा वचन ले लेना हे और जब आवश्यकता पड़े तब नागिनी से काम करवाना हे पर ध्यान ये रहे की नागिनी से कोई गलत कार्य न करवाए अन्यथा आपका ही बुरा होगा,
इस तरह साधक अष्ट नागिनी साधना करके उसकी सिद्धि प्राप्त कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.
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