कामाख्या के बारे में

आज में इस पोस्ट में कामख्या माता का इतिहास लेकर आया हु आज में इस पोस्ट में कामाख्या के बारे में बताने वाला हु, ५१ शक्तिपीठ में से एक शक्तिपीठ का नाम हे कामाख्या पीठ और यहा माता की योनी का टुकड़ा गिरा था और वहा योनी पूजा का प्रचलन प्राचीन काल से हे, तो चलिए विस्तार से जानते हे कामाख्या के बारे में उसका इतिहास क्या हे और मंदिर में उसका पूजापाठ कैसे होता हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते  हे,

कामाख्या के बारे में

प्राचीन काल में जब भगवान् शिव सती के वियोग में विलाप  करते हुए उनका शरीर लेकर घूम रहे थे, तब विष्णुजी ने सुदर्शनचक्र से सती के शरीर को चूर चूर  कर  दिया, जिससे  महादेव  का  मोह भंग हो सके। उनके शरीर  के  दिव्य  अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां आदिशक्ति  के वह दिव्य अंग सिद्ध पीठों  के रूप में अवतरित हो गये। जहां भगवती सती का योनि भाग गिरा  वह  स्थान  ‘कामाख्या’  नाम से प्रसिद्ध हुआ। प्रत्येक सिद्धपीठों  में भगवान् शिव भैरव रूप में शिवा के  साथ स्थापित हो गये। शिव ने देवताओं से कहा- ‘जो मनुष्य भक्तिपूर्वक इन दिव्य स्थानों पर ‘शक्ति’ की उपासना करेंगे, वह मनुष्य मनोवांछित फल प्राप्त करेंगे। इन सभी स्थानों पर मैं ‘भैरव’ रूप में शिवा के साथ  निवास  करूंगा। इसलिये  सभी सिद्ध पीठों पर किया  गया  जप  एवं  पुरश्चरण त्वरित फल प्रदान करेगा। असम गुहावटी में ‘कामाख्या’ क्षेत्र पर भगवती योनि पीठ में स्थापित हैं तथा इनके भैरव ‘उमानन्द’ हैं।

‘कामाख्या’ पीठ को सर्व सिद्ध पीठों में  सर्व  श्रेष्ठ  माना गया है, इसलिये इस तेजस्वनी शक्ति पीठ पर तांत्रिक विद्वान लोग अनेंको प्रकार के  तंत्रानुष्ठान  करते  हैं। यह  महामाया  का ऐसा जाग्रत  स्थान  है  जहां  आज भी प्रतिवर्ष भगवती रजस्वला होती हैं।

उस समय सभी प्रमुख देवता उस स्थान  पर आकर, वहीं पर्वत श्रेणियों में निवास करते हैं। उस  समय  वहां  की  सम्पूर्ण भूमि देवोमयीं हो जाती  है। माँ  कामाख्या  आदि  शक्ति  का दिव्य स्वरूप  है  जिनकी  विधि  पूर्वक आराधना करने से मनुष्य  चारों  पुरुषार्थों को सहज ही प्राप्त करता है। इस  स्थान  पर  ‘तंत्रानुष्ठान’ एवं  ‘कन्या-पूजन’  का विशेष  महत्त्व  है।  इसलिये  तंत्रानुष्ठान में नित्य कन्या  पूजन  एवं  भोजन का आयोजन करना महा फलदायी होता है।

कामाख्या के बारे में जानकर आपको पता चल गया होगा माता की पूजा कैसे होती हे और ५१ शक्तिपीठ में इस पीठ का महत्व क्या हे उसके बारे में आपको पता चल गया होगा.

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