माता कामख्या का नाम आपने सुना ही होगा ५१ शक्तिपीठ में से एक शक्तिपीठ का नाम कामाख्या शक्तिपीठ हे इस शक्तिपीठ में माता के योनी का टुकड़ा गिरा था और वहा पे योनी का टुकड़ा गिरा था, आज में इस पोस्ट में कामाख्या शक्तिपीठ के चमत्कार के बारे में बताने वाला हु,
तो चलिए विस्तार से जानते हे कामाख्या शक्तिपीठ के चमत्कार के बारे जानते हे,
यहां पर देवी के योनि भाग की ही पूजा की जाती है मंदिर में एक कुंड सा है, जो हमेशा फूलों से ढका रहता है।
इस पीठ के बारे में एक बहुत ही रोचक कथा प्रसिद्ध बात है कहा जाता है कि इस जगह पर मां का योनि भाग गिरा था, जिस वजह से यहां पर माता हर साल तीन दिनों के लिए रजस्वला होती हे। एक समय पर नरक नाम का एक असुर था नरक ने कामाख्या देवी के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा देवी उससे विवाह नहीं करना चाहती थी इसलिए उन्होंने नरक के सामने एक शर्त रखी. शर्त यह थी कि अगर नरक एक रात में ही इस जगह पर मार्ग, घाट, मंदिर आदि सब बनवा दे तो देवी उससे विवाह कर लेंगी. नरक ने शर्त पूरी करने के लिए भगवान विश्वकर्मा को बुलाया और काम शुरू कर दिया। काम पूरा होता देख देवी ने रात खत्म होने से पहले ही मुर्गे के द्वारा सुबह होने की सूचना दिलवा दी और विवाह नहीं हो पाया. आज भी पर्वत के नीचे से ऊपर जाने वाले मार्ग को नरकासुर मार्ग के नाम से जाना जाता है और जिस मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित है, उसे कामादेव मंदिर कहा जाता है. मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि नरकासुर के अत्याचारों से कामाख्या के दर्शन में कई परेशानियां उत्पन्न होने लगी थीं, जिस बात से क्रोधित होकर महर्षि वशिष्ट ने इस जगह को श्राप दे दिया।
कहा जाता है कि श्राप के कारण समय के साथ कामाख्या पीठ लुप्त हो गया यहां पर भक्तों को प्रसाद के रूप में एक गीला कपड़ा दिया जाता है, जिसे अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि 16 वीं शताब्दी में कामरूप प्रदेश के राज्यों में युद्ध होने लगे, जिसमें कूचविहार रियासत के राजा विश्वसिंह जीत गए युद्ध में विश्व सिंह के भाई खो गए थे और अपने भाई को ढूंढने के लिए वे घूमते-घूमते नीलांचल पर्वत पर पहुंच गए. वहां उन्हें एक वृद्ध महिला दिखाई दी उस महिला ने राजा को इस जगह के महत्व और यहां कामाख्या पीठ होने के बारे में बताया यह बात जानकर राजा ने इस जगह की खुदाई शुरु करवाई खुदाई करने पर कामदेव का बनवाया हुवा मूल मंदिर का निचला हिस्सा बाहर निकला राजा ने उसी मंदिर के ऊपर नया मंदिर बनवाया कहा जाता है कि 1564 में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर को तोड़ दिया था जिसे अगले साल राजा विश्वसिंह के पुत्र नरनारायण ने फिर से बनवाया।
उमानंद भैरव ही इस शक्तिपीठ के भैरव हैं। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में है. कहा जाता है कि इनके दर्शन के बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी मानी जाती है कामाख्या मंदिर की यात्रा को पूरा करने के लिए और अपनी सारी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए कामाख्या देवी के बाद उमानंद भैरव के दर्शन करना अनिर्वाय है।
कामाख्या मंदिर तंत्र विद्या का सबसे बडा केंद्र माना जाता है और हर साल जून महीने में यहां पर अंबुवासी मेला लगता है।देश के हर कोने से साधु-संत और तांत्रिक यहां पर इकट्ठे होते हैं और तंत्र साधना करते हैं. माना जाता है कि इस दौरान मां के रजस्वला होने का पर्व मनाया जाता हे।
यह मंदिर तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। यहां तारा, धूमवती, भैरवी, कमला, बगलामुखी आदि तंत्र देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं। कामाख्या देवी मंदिर पुन: निर्माण इस मंदिर को सोलहवीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था लेकिन बाद में कूच बिहार के राजा नर नारायण न सत्रहवीं शताब्दी में इसका पुन: निर्माण करवाया था।
नीलांचल पर्वत के बीचो-बीच स्थित कामाख्या मंदिर गुवाहाटी से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध 108 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि पिता द्वारा किए जा रहे यज्ञ की अग्नि में कूदकर सती के आत्मदाह करने के बाद जब महादेव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। तब भगवान विष्णु ने उनके क्रोध को शांत करने के लिए अपना सुदर्शन चक्र छोड़कर सती के शव के टुकड़े कर दिए थे। उस समय जहां सती की योनि और गर्भ आकर गिरे थे, आज उस स्थान पर कामाख्या मंदिर स्थित है।
हमारे तंत्र शास्त्रों में भी कामाख्या शक्तिपीठ के चमत्कार के बारे में जिक्र किया गया हे और माता की साधना आराधना करके साधक माता के आशीर्वाद प्राप्त कर सकता हे.
हम इस वेबसाइट पर अपने साधको को साधना सिखाने के लिए बहुत महेनत करके पोस्ट लिखते हे क्योकि यहाँ जो मंत्र और विधि बताई जाती हे वो सटीक होती हे हमारी पोस्ट आप भक्तो को और साधको को अच्छी लगे तो आप हमें हमारे निचे दिए गई स्केनर पर अपना अनुदान कर सकते हे ताकि हमें काम करने में प्रोत्साहन मिले और आगे हम आपके लिए सेवा कर सके!!
भैरव की अघोर शक्ति से और सिद्ध मंत्र से किया गया अभिमंत्रित कड़ा यानि कि भैरव कड़ा जो हर तरह की बीमारियों के सामने रक्षण देता हे मसान की खतरनाक शक्तियों के सामने और बुरी आत्मा के सामने रक्षण करता हे जिसको चाहिए वो हमारा कॉन्टैक्ट करके मंगवा सकता हे
कांटेक्ट करने के लिए ईमेल
Whatsapp पर मेसेज भी कर सकते हे
76220 64912
कोई भी साधक अगर सिद्धि प्रदान करना चाहता हे तो उसको सिद्ध माला की आवश्यकता रहती हे बिना सिद्ध की हुई माला से जितना भी मंत्र जाप कर लो सिद्धि प्राप्त नहीं होती हमारे पास सभी प्रकार की सिद्ध की हुई माला उपलब्ध हे जिसको चाहिए वो हमारा कॉन्टैक्ट कर सकता हे
कांटेक्ट करने के लिए ईमेल
Whatsapp पर मेसेज भी कर सकते हे
76220 64912
गुरुमुखी मंत्र और खतरनाक शक्तियों के मंत्र से और उसकी शक्ति से हम श्मशान की राख को अभिमंत्रित करते हे और उसको खास प्रकार की वशीकरण राख बनाते हे उस राख को इच्छित व्यक्ति पर फेकने से या किसी भी बहाने उसको खिला देने से वो आपके प्यार में गिरफ्तार हो जाएगी
कांटेक्ट करने के लिए ईमेल
Whatsapp पर मेसेज भी कर सकते हे
76220 64912
किसी भी साधक को अगर सिद्ध किया हुआ यंत्र चाहिए तो वो हमारा कॉन्टैक्ट कर सकता हे और मंगवा सकता हे
कांटेक्ट करने के लिए ईमेल
Whatsapp पर मेसेज भी कर सकते हे
76220 64912
कोई साधक अगर किसी भी शक्ति की साधना करना चाहता हे या वशीकरण साधना या मोहिनी साधना करना चाहता है तो हम साधक को गुरुमुखी साधना देंगे और जब तक सिद्धि न मिले तब तक हम उसको मार्गदर्शन करेंगे सिद्धि प्रदान कराएंगे (महाकाली साधना नरसिंह साधना भैरव साधना कोई भी दस महाविधा की साधना यक्षणी साधना जिन्न साधना भूतनी साधना डाकिनी शाकीनी साधना वशीकरण साधना मोहिनी साधना और हमारे पास कई सारी गुप्त साधना हे जिसका जिक्र यहां नहीं कर सकते
कांटेक्ट करने के लिए ईमेल
Whatsapp पर मेसेज भी कर सकते हे
76220 64912
यह भी पढ़े