कभी कभी मनुष्य ऐसी बीमारी और ऐसे क़र्ज़ में फंस जाता हे की वहा से निकलना नामुमकिन होता हे,आज में एक ऐसा प्राचीन और गुप्त मंत्र देने वाला हु जिसका प्रयोग करके आप किया कराया और रोग से मुक्ति पा सकते हो,
देह से रोग निकालने के लिए अचूक और प्रभावी मंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है। निम्नलिखित मंत्र द्वारा आप देह से रोगों को निकालने की कोशिश कर सकते हैं:
मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वज्रवैर्य महाबलाये हं हं फट् स्वाहा।
यह मंत्र वज्रासन में बैठे हुए या प्राणायाम करते समय जाप किया जा सकता है। इस मंत्र का जाप करते समय आपको सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति की अनुभूति हो सकती है, जो रोग को दूर करने में मदद कर सकती है।
आप इस मंत्र का दैनिक जाप कर सकते हैं, संध्यावंदन या ध्यान के समय इसका उच्चारण करें। आपको स्वास्थ्य और शक्ति की अनुभूति हो सकती है और रोगों के प्रति सद्भावना बढ़ा सकती है।
यहां तक कि इस मंत्र का स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने भी समर्थन किया है, जो एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु और योगाचार्य थे।
हालांकि, मैं यहां यह बताना चाहूँगा कि यह मंत्र एक आध्यात्मिक उपाय है और किसी रोग के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। रोग का समय पर निदान करना और आवश्यक उपचार करवाना आवश्यक है।
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को में
ऊपर केश विकट भेष खंभ प्रति प्रहलाद राखे
पाताल राखे पांव देवी जंघा राखे कालिका मस्तक
रखे महादेवजी कोई या पिंड प्रान को छोड़े छेड़े
तो देव दाना भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी गांड ताप
तिजारी जूड़ी एक पहरू दो पहरूं सांझ को संवारा
को कीया को कराया को उलटा वाही के पिंड पर
पड़े इस पिंड की रक्षा श्री नृसिंह जी करें शब्द
सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा ।
विधि
उपर्युक्त मंत्र स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र हे उसको सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं हे,किया कराया और रोग से मुक्ति पाने के लिए साधक इसका जाप दिन में २ बार कर सकता हे अपनी शक्ति अनुसार जाप करे और कम से कम २१ दिन तक जाप करे.
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