अप्सरा,किन्नरी और यक्षिणी साधना ऐसी होती हे जो बहुत ही खतरनाक मानी जाती हे अगर इन सबकी साधना करने से पूर्व आप अच्छे गुरु का मार्गदर्शन लेकर करोगे तो आपको जरुर सफलता मिल सकती हे बिना गुरु के साधना करने में साधक को निडर होना पड़ता हे धैर्य रखना पड़ता हे फिर वो आपकी कसोटी भी करती हे इसमें आपको सफल होना पड़ता हे तब जाकर आप साधना में सफलता प्राप्त कर सकते हो,आज में आपको इस पोस्ट में कुंडला हारिणी अप्सरा साधना देने वाला हु जिसको आप सिद्ध करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हो और उसकी सिद्धि हासिल कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे कुंडला हारिणी अप्सरा साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
अप्सरा साधना एक पौराणिक और तांत्रिक क्रिया है जो व्यक्ति अप्सराओं से संवाद करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह साधना अध्यात्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए की जाती है और इसे सही तरीके से करने के लिए विशेष नियमों और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
ये हैं कुछ महत्वपूर्ण नियम और विधियां जो अप्सरा साधना में ध्यान में रखने चाहिए:
गुरु का चयन:
अप्सरा साधना करने से पहले, एक प्राग्ज्ञ और अनुभवी गुरु का चयन करें, जो आपको मार्गदर्शन देने में सहायक हो सकते हैं।
शुद्धि:
साधना करने से पहले शरीरिक और मानसिक शुद्धि का ध्यान रखें।
मंत्र और यंत्र:
गुरु के मार्गदर्शन में, सही मंत्र और यंत्र का चयन करें और उन्हें प्रयोग करने का सिखें।
पूजा और ध्यान:
साधना करते समय नियमित रूप से आपसरा की पूजा और ध्यान करें।
तपस्या:
आपको तपस्या और व्रत का पालन करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि आपकी साधना में सफलता मिले।
संकल्प:
साधना करने से पहले एक सकल्प बनाएं और उसे स्थिर रूप से मन में रखें कि आप क्या प्राप्त करना चाहते हैं।
प्राणायाम:
योगिक प्राणायाम का अभ्यास करके अपनी आत्मा को शुद्ध और साधना के लिए तैयार करें।
ध्यान और धारणा:
ध्यान और धारणा के माध्यम से आपको अप्सराओं के साथ संवाद स्थापित करना होगा।
संकेत:
अप्सराओं के प्रति संकेतों और संवाद के लिए संवाद का प्रयोग करें।
धैर्य और श्रद्धा:
साधना में सफलता पाने के लिए धैर्य और श्रद्धा रखें।
यह साधना कठिन हो सकती है और इसमें अन्यायपूर्ण उद्देश्यों का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह एक अध्यात्मिक अभियांत्रिक साधना है और इसे जिम्मेदारी और विवेकपूर्ण रूप से करना चाहिए। इसके अलावा, समाज में उचित तरीके से जीवन जीना और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में काम करना भी महत्वपूर्ण है।
धन व रसायन प्रदान करती हैं। साधना पर्वत शिखर पर की जाती है।
मंत्र-
‘ॐ श्री ह्रीं कुंडला हारिणी आगच्छागच्छ स्वाहा।’
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
ये साधना ४५ दिन की साधना हे साधना आपको शिखर यानि आपको पर्वत पर करनी हे,लाल चन्दन की माला से हररोज ३ माला करे और अपने सामने 7 किस्म की मिठाई रखे और ५ गुलाब के फुल रखे ये विधि आपको लगातार ४५ दिन तक करनी हे ४५ दिन के अन्दर अप्सरा सामने प्रगट होती हे जब अप्सरा सामने प्रगट हो जाये तो आपको उसको वचन में बाँध लेना हे और कहना हे की जब में बुलाऊ तब आपको मेरे पास हाज़र होना हे और में जो कार्य दू वो आपको पूरा करना हे,
इस तरह साधक कुंडला हारिणी अप्सरा साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे.
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