आज में आपके समक्ष चिमटा का मंत्र लेकर आया हु गुरु दीक्षा के बाद जब चिमटा को रखा जाता हे तब इस मंत्र का उच्चारण यानि की जाप करके चिमटा रखा जाता हे,जब वो चिमटा रखते हे तब गुरु इस मंत्र से चिमटा रखता हे फिर आगे साधना शुरू कर सकते हे,जो साधक नाथ पंथ से हे या अघोर पंथ से हे उसको पता होता हे की चिमटा को कैसे रखा जाता हे,
यहाँ आपको में २ शाबर मंत्र दूंगा जिसकी मदद से आप चिमटा रख सकते हो,एक मंत्र गुरु गोरखनाथ का हे और दूसरा मंत्र नवनाथ का हे दोनों मंत्र स्वयं सिद्ध मंत्र हे आप इसमें से किसी भी एक मंत्र का उपयोग कर सकते हो,
मंत्र
ॐ सागर मन्थन प्रयाणुयण
चिमटा बाजा भयानक्तम्
असुर संहारे चिमटन शिव अंगारे
नीला धारा उत्पथिक्यतम्
विजाक्ति विष प्याला
कंठ नीला अम्बरम्
शिव शरीरम् नीला अम्बरम्
कैलाशपति चिमटा चलम्चल
व्यारे संहारे दैत्यं शिष कटटम्
कैलाश चिमटा उत्तारणमों
शिघ्रतम् सत्यम् सत्यम्
शिव नाथ पूज्यम पूज्यम्
इति सिद्धम्!!
चिमटा मंत्र
मंत्र
सत नमो आदेश गुरूजी को आदेश ॐ गुरूजी कैलाश पर्वत से योगेश्वर आया अलष पुरूष से चिमटा पाया कौन शब्द से चिमटा लाया कौन उतरे पार चकमक चिमटा धूनी पानी सब राखिये साथ गुरू शब्द सिध्दों की बानी लोहे का चिमटा सतगुरू का ज्ञान-चिमटा राखे योगी निर्वाण-चिमटा बाजे चिमटा गाजे,चिपिया माही चिमटन की काया-चिमटे ने सारी सृष्टी को जगाया इतना चिमटा जाप सम्पूर्ण भया श्री नाथजी गुरूजीको आदेश आदेश
जब कोइ साधक धुना लगाकर बैठे और संसार का त्याग करके वो साधना शुरू करे तब वो गुरु की देखरेख में उपर्युक्त मंत्र से चिमटा को सिद्ध करके उस चिमटा को धुनें पास रख देता हे जब तक चिमटा नहीं रखते तब तक उसकी साधना सफल नहीं होती क्योकि ये साधना एक पंथ की साधना हे इसलिए विधिवत चिमटा को सिद्ध करना पड़ता हे फिर वो साधक आगे साधना कर सकता हे,
इस तरह आप चिमटा का मंत्र से विधिवत चिमटा को सिद्ध कर सकते हो.
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