झाड़ने फूंकने

किसी भी व्यक्ति के ऊपर उपरी बाधा हो नज़र दोष हो तो आप इस झाड़ने फूंकने का मंत्र से रोगी को ठीक कर सकते हो, आज में जो आपको मंत्र देने वाला हु वो स्वयं सिद्ध मंत्र हे और हमने अनुभव भी किया हुआ हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे झाड़ने फूंकने का मंत्र कैसे सिद्ध होता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

झाड़ने फूंकने

मंत्र:-

ॐ पवन चले, पानी चल, इन्द्र का नगर चले, भीम का गदा चलै, सीता का सत चले, अर्जुन का बान चले, महादेव का स्रपर चले, सिंह चढ़ि देवी चलं,  आकास की  जोगनी  चले, पाताल के नाग चले, ठाकुर का  सिंहासन चले । घोरू बोरू रे अघोरी वीर | घोरू घोर ही में  खाय, घोर ही में पीवै, औ घोरही में अघोरी वीर जीव । छपन छूरी आगे, छपन छूरी पाछे चले, ताके बीच में वैजनाथ अघोरी चले । काहे को चले, डीठि को चल,  मूठि  को चल,  टोना को चल टमाना  को चले, चोरिआ मसान  को चले। हे  बन्धु ! एतना काम करिके ल्याव । जो न  लेवे तो  माया तेरी और भगिनी बाय कसाई के रक्त मां  अस्नान करावं । फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।

साधना:-

इस मंत्र को सिद्ध करने के  लिए  अमावस्या के दिन साधना का प्रारंभ  करे, गूगल और लोबान का धुप करे फिर  काले हकिक  की  माला  से उपर्युक्त मंत्र का २१ माला जाप करे  ये  विधि २१ दिन तक मंत्र सिद्ध हो जायेगा।

प्रयोग:-

उपर्युक्त मंत्र को ७  बार अभिमंत्रित  करके मोर पिछ से जाड सकते हे।

झाड़-फूंक  

झाड़-फूंक  कर लोगों का भूत भगाने या कोई बीमारी का  इलाज करने, नजर उतारने या सांप के काटे का जहर उतारने का कार्य ओझा लोग और तांत्रिक करते थे। यह  कार्य  हर  धर्म  में किसी न किसी रूप में आज भी पाया जाता है।

पारंपरिक  समाजों  में  ऐसे व्यक्ति को ओझा कहा जाता  है।  कुछ  ऐसे  दिमागी  विकार  होते हैं, जो डॉक्टरों  से  दूर  नहीं  होते  हैं। ऐसे में लोग पहले ओझाओं  का सहारा लेते थे। ओझा की क्रिया द्वारा दिमाग पर गहरा असर होता था और व्यक्ति के मन में  यह  विश्वास हो जाता था कि अब तो मेरा रोग और  शोक  ‍दूर हो जाएगा। यह विश्वास ही व्यक्ति को ठीक कर देता था।

इस तरह आप झाड़ने फूंकने  का मंत्र का प्रयोग करके आप जाड सकते हो.

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