तारा ध्यान

माँ तारा दस महाविधा में दुसरे स्थान पर आनेवाली शक्ति हे और माँ तारा को तंत्र की देवी मानी जाती हे,ज्यादातर माता तारा की साधना स्मशान भूमि में की जाती हे और गुरु की देखरेख में की जाती हे, माता तारा की साधना करने से पहले तारा ध्यान किया जाता हे फिर साधना का प्रारम्भ करते हे,

तारा (Tara) माता हिंदू धर्म की देवी हैं और वह शांति, स्थिरता और सौभाग्य की प्रतीक हैं। माता तारा के ध्यान करने से व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त करता है और अपार शक्ति प्राप्त करता है। यहां कुछ चरणों का उल्लेख किया गया है जिनका अनुसरण करके आप माता तारा का ध्यान कर सकते हैं:

स्थान चुनें:

ध्यान करते समय एक शांत और पवित्र स्थान चुनें। आप एक मंदिर, आश्रम या आपके घर के एक स्पेशल स्थान पर ध्यान कर सकते हैं। ध्यान के लिए आरामदायक और स्थिर आसन चुनें, जैसे कि पूजा के लिए उपयोगी आसन या पद्मासन।

संकल्प:

ध्यान करने से पहले माता तारा के सामर्थ्य को ध्यान में लाने के लिए एक संकल्प (संकल्प श्लोक) करें। यह आपके मन को एकग्र और ध्यानित बनाने में मदद करेगा। आप अपनी भाषा में या संस्कृत में मन की शक्ति और संकल्प का उपयोग कर सकते हैं।

निश्वास ध्यान:

ध्यान करते समय अपने ध्यान को अपनी सांसों पर मेंटेन करें। सांस लेते हुए आप “अहं” (श्वास बाहर) और सांस छोड़ते समय “सो” (श्वास अंदर) का मंत्र जप सकते हैं। इससे आपका मन शांत होगा और आपका ध्यान स्थिर रहेगा।

माला का जाप:

आप माता तारा के जप के लिए माला का उपयोग कर सकते हैं। माला में 108 मन्त्रों की संख्या होती है, और आप इसे जपते समय एक बीमंत्र के साथ उच्चारण कर सकते हैं, जैसे कि “ॐ तारायै नमः” या “ॐ ह्रीं तारायै नमः”। इस जप के द्वारा आप माता तारा के साथ एक संबंध बना सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

अंतिम ध्यान और प्रार्थना:

ध्यान समाप्त करने से पहले ध्यान के दौरान अपने अंतिम मंत्र के जप के बाद माता तारा की ओर संक्षेप में ध्यान करें। इसके बाद, आप अपनी मनोकामनाएं प्रकट करने या संकल्प पढ़ने के बाद तारा माता से कोई समर्पण या भक्ति की प्रार्थना कर सकते हैं।

माता तारा के ध्यान में नियमित रूप से लगातारता बढ़ाने से आपका मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सकता है। यह आपको आनंद, शांति और स्थिरता की अनुभूति कराता है।

तारा ध्यान

तारा ध्यान

प्रत्यालीढ पदापितांधि शवहृद्घोरा ट्टहा सापरा।

खड्गेंदीवरकत्रि खर्परभुजा हुंकार बीजोद्भवा ।

खर्वानीलविशालपिङ्गलजटाजूटैकनागैर्युता ।

जाड्यं चन्द्रकपालकर्तृजगतां हन्त्युप्रतारा स्वयम्

माता तारा की साधना करने से पहले तारा ध्यान करे फिर साधना का प्रारम्भ करे.

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