त्रिमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा,विष्णु और महेश की माया रूप हे,मन की पवित्रता और शुद्धता के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता हे,शरिर की उर्जा और आत्मविश्वास के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता हे,इस रुद्राक्ष को धारण करने से जातक को समाज में मान सन्मान मिलता हे,
त्रिमुखी रुद्राक्ष को सिद्ध कैसे करते हे और उसकी क्या विधि हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे,
मंत्र
त्रिलोक की माया जगह हो जाया पराया
जो जाने बुद्धि से यह जग उसी नर ने जाना
त्रिलोक के स्वामी चले परम धाम
तीनों देव जब चले साथ में चली प्राण
शिव चले शिव लोक विष्णु चले पाताल
ब्रह्मा चले ज्ञान लोक साथ में ले त्रिमुखी रुद्राक्ष
ब्रह्मा विष्णु शिवम् चले जब पूर्ण हो आस
नर नारी धरती पर हुआ बसेरा शिव लोक में बसेरा
गऊएं चली पुण्य लोक धर्म का हो बसेरा
त्रिलोक में त्रिमुखी चले गले में पड़ गई माला
प्रभु शिव सम्पूर्ण लोकों का रखवाला
धर्म पर विजय कर शिव लोक में
पुण्य पहुंचा ध्याला
इति सिद्धम्
मंत्र को सिद्ध करने का विधान और प्रयोग
त्रिमुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा विष्णु महेश की माया रूप है इसकी पहने और इस मन्त्र से इसे सोमवार के दिन 108 बार पाठ करके और गंगाजल में रुद्राक्ष को नहलाकर पूजन करे और इस मन्त्र का मनन करें। इसके पहनने के बाद कोई भी दशा या ग्रह दोष या ऊपर की हवा का दोष दूर हो जाता है।
इस रुद्राक्ष को सावन महीने में सिद्ध किया जाये और फिर धारण करने से जातक को कई गुना ज्यादा फल मिलता हे,इस विधि करते वक्त आप अपने गुरु के मंत्र की एक माला कर सकते हे और अपने इष्टदेव की भी एक माला करे ताकि इस विधि में जल्द ही सफलता मिल सकती हे,
इस तरह साधक या जातक त्रिमुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करके गले में धारण कर सकता हे और अपनी सारी परेशानियों से छुटकारा पा सकता हे.
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