कभी कभी साधक मंत्रजाप करके थक जाता हे क्योकि उसको सफलता नहीं मिलती कुछ मंत्र ऐसे होते हे जिसको लाख बार जाप करने से भी वो मंत्र सिद्ध नहीं होता ऐसे मंत्र को दुष्ट मंत्र कहते हे, आज में आपको दुष्ट मंत्र सिद्ध करने का पूरा विधि विधान बताने वाला हु इस विधि का अनुसरण करके आप कैसा भी दुष्ट हो वो सिद्ध हो जाता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे दुष्ट मंत्र को कैसे सिद्ध किया जाता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र जपने की शक्तिशाली विधि निम्नलिखित हो सकती है:
तय करें कि आपके पास एक शांत और पवित्र स्थान हो, जहाँ आप बिना किसी व्याधि और व्यवधान के मन्त्र जप सकते हैं.
आपका मानसिक स्थिति महत्वपूर्ण है, इसलिए शांति और सुख की भावना से बैठें. ध्यान और मेधा बढ़ाने के लिए ध्यान करें.
आपका वस्त्र स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए, जैसे कि धूप, दिया, और फूल आदि का उपयोग करके मंदिर में किया जाता है.
अपने मंत्र का चयन करें. यह मंत्र आपकी आस्था और आवश्यकताओं के आधार पर हो सकता है.
अपने मंत्र को ध्यानपूर्वक और मनःस्थिति से जपें. शब्दों को स्पष्ट और सुन्दर ढंग से उच्चारण करें.
एक माला का उपयोग करके मंत्र की मात्रा की गणना करें. माला के हर बीज के साथ मंत्र का जप करें.
मंत्र जप का समय और अवधि निर्धारित करें. आप प्रतिदिन एक निश्चित समय पर या निश्चित अवधि के लिए मंत्र जप कर सकते हैं.
मंत्र जप को ध्यानपूर्वक और आत्मसमर्पण से करें. आपकी भक्ति और आस्था इसके पीछे महत्वपूर्ण हैं.
जब आपका मंत्र जप समाप्त हो, तो ध्यान और आध्यात्मिक अनुभव के बाद धीरे से आँखें खोलें और ध्यान से बैठे रहें.
समय के साथ, आपका मंत्र जप आपके जीवन में शांति, सुख, और आंतरिक समृद्धि की ओर मद्दत कर सकता है.
यदि मंत्र उपरोक्त प्रकार से अनेक बार शोधन किया जाने पर भी शुद्ध न हो तो उसके दोष को दूर करने के वास्ते उसकी आदि में ह्रीं क्लीं’ श्रीं, बीजों को लगाकर जपें।
अथवा ‘ॐ’ के सम्पुट में जपा जाने से दुष्ट मंत्र भी सिद्ध हो जाता है। अथवा उल्टे या सीधे क्रम से वर्णमाला को लगाने से भी मंत्र सिद्ध हो जाता है।
इस तरह साधक दुष्ट मंत्र को सिद्ध करने के लिए हमारे दिए गई निर्देश का पालन करके दुष्ट मंत्र को तुरंत सिद्ध कर सकता हे.
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