पद्मिनी योगिनी साधना

आज में साधक मित्रो के लिए अष्ट योगिनी में से एक पद्मिनी योगिनी की साधना लेकर आया हु  इसको सिद्ध करके आप पद्मिनी योगिनी को सिद्ध कर सकते हो और उसके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो ,

तो चलिए विस्तार से जानते हे पद्मिनी योगिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

साधक  को  चाहिए  कि  यह  अपने घर के किसी एकान्त  स्थान  में  अथवा  शिव मन्दिर के समीप पूर्वोक्त  विधि  से  पूजादि कर चन्दन द्वारा मंडल द्वारा अंकित करे और उस मंडल में पद्मिनी योगिनी के मूल मन्त्र को लिखे। मूल मंत्र यह है-

पद्मिनी योगिनी साधना

मंत्र

ॐ ही आगच्छ पद्मिनी स्वाहा।

निम्नलिखित  अनुसार  देवी  के स्वरूप का चिन्तन करना चाहिए-

पद्मिनी  योगिनि का मुख कमल के समान सुन्दर हे उनका  शरीर  अत्यंत  कोमल  तथा स्याम वर्ण है। उनके  दोनो स्तन उन्नत तथा स्थूल है ।उनके होठो  पर सदैव मुस्कान विराजती रहती है। उनके नेत्र लाल कमल जेसे हे।

निम्नलिखित श्लोक  में देवी के ध्यान के स्वरूप का वर्णन किया गया है-

पद्मानना श्यामवर्णा पोनोतुंग ग पयोधराम् ।

कोमलांगी  स्पेरमुखी  रक्तोत्पलदसेक्षणम् ॥

उपर्युक्त  विधि  से  ध्यान करते  हुए प्रतिदिन एक सहस्त्र  की  संख्या  में  मूलमन्त्र  का  जप करना चाहिए।  इस  प्रकार  एक  मास  तक  जप  करके मास  के  अन्तिम  दिन की पूर्णिमा तिथि को यथा विधि पूजन  करके  अर्ध रात्रि तक योगिनी के मन्त्र का  जप  करता रहे। तब पद्मिनी योगिनी साधक को दृढ़  प्रतिज्ञा  मान  कर  उसके समीप आती है तथा उनका  सब  प्रकार  से  मंगल  बढ़ाती  हुई घर में उपस्थित  होती  है।  तदुपरान्त वे साधक की पत्नी बनकर  वे  विविध  प्रकार  के  भोग, भोज्य पदार्थ, आभूषण आदि  देकर सन्तुष्ट  करती हैं। वे पति के समान  साधक  का  पालन  करती  है। साधक को चाहिए  पद्मिनी योगिनी  के सिद्ध हो जाने पर अन्य स्त्री  का  परित्याग  करके  पद्मिनी  योगिनी का ही चिन्तन करे।

इस तरह साधक पद्मिनी योगिनी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.

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