ये साधना पुत्रदा यक्षिणी साधना हे,इस साधना करने का एक ही उद्देश्य हे की संतान प्राप्ति जिसको कोई संतान नहीं हे उसके लिए ये साधना रामबाण इलाज हे,कई बार ऐसा होता हे की किसी कारण वश संतान प्राप्ति नहीं होती हे,जो सब जगह से निराश होकर और खाली हाथ लौटे हे उसको ये साधना अवश्य करनी चाहिए,
आज के इस युग में ऐसी साधना मिलना असंभव हे क्योकि आधुनिक समय में सबका साधना और शक्ति पर से विस्वास चला गया हे, कोई साधना करता हे तो उसको सही विधि विधान ना मिलने से वो असफल होते हे फिर साधना को ही छोड़ देते हे,
किसी भी व्यक्ति को संतान सुख ना हो तो पहले उस व्यक्ति को इलाज करवाना चाहिए इलाज में आपको कोई अच्छा परिणाम देखने को ना मिले तो ही आपको ये साधना करनी चाहिए, पुत्रदा यक्षिणी साधना से साधक को अवश्य लाभ होगा और ये यक्षिणी आपकी मनोकामना पूरी करेगी.
मंत्र-
“ॐ ह्रीं ह्री पुत्रं कुरु कुरु स्वाहा ।”
साधन विधि-
आम के वृक्ष के निचे बैठकर उक्त मन्त्र का एकाग्र- चित्त से ११००० जप करने से ‘पुत्रदा यक्षिणी’ प्रसन्न होकर अपुत्री साधक को पुत्र प्रदान करती है।
साधना से पहले अपने इष्ट देव की एक माला करे और गणेश पूजन करे और यक्षिणी से अपनी मनोकामना बताये फिर ये साधना की शुरुआत करे,साधना के बिच में अपना मन विचलित करने के लिए साधक को कंगन की या अन्य ध्वनि भी सुनाई देगी पर साधक को साधना खंडित नही करनी हे,ये साधना एक दिवसीय साधना हे एक दिन में ही और एक ही बैठक में आपको ये साधना सम्पन्न करनी हे,जब यक्षिणी प्रसन्न होकर आपके समक्ष आ जाये तो अपने मन की बात उसे कहे और उसको भोग में मिठाई अर्पित करे,
इस तरह साधक पुत्रदा यक्षिणी साधना करके संतान प्राप्ति कर सकता हे,
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