ये भूतरोग विनाशक मंत्र एक दिन में ही सिद्ध होता हे इसे आप नरक चतुर्दशी या ग्रहण काल में सिद्ध कर सकते हो, किसी विशेष अवसर (ग्रहणादि काल में) निम्नलिखित शाबर मंत्र को लोबान की ग्यारह आहुतियां देकर हवन अवश्य करें। इस प्रकार मंत्र प्रभावी हो दस माला जप कर सिद्ध कर लें।
ये मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र हे और प्राचीन मंत्र हे इसके प्रयोग से भुत प्रेत ,डाकिनी शाकिनी का छाया आसानी से दूर कर सकते हो,जो लोग गद्दी चलाते हे या दरबार चलाते हे उसके पास ये मंत्र अवश्य होना चाहिए या जो लोग जनकल्याण के कार्य करना चाहते हे उसके पास भी ये भुतरोग विनाशक मंत्र होना चाहिए,
तो चलिए विस्तार से जानते हे भूतरोग विनाशक मंत्र को कैसे प्रयोग में लाया जाता हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं फट् स्वाहा परबत हंस स्वामी आत्मरक्षा सदा भवेत् नौ नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई। हाथ में भूत, पांव में भूत, भभूत मेरा धारण माथे राखो अनाड़ की जोत, सबको करो सिंगार गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा, दुहाई भैरव की।
प्रयोग
सर्वप्रथम रोगी को सामने बैठाएं। तसले में आम की लकड़ियां जलाकर, उसके अंगारों पर लोबान की आहुतियां देते हुए सात बार मंत्र पढ़ें और हर बार मंत्र की समाप्ति पर अग्नि में लोबान की बुरकी दें। फिर उसी हवन की भस्म रोगी के पूरे शरीर, हृदय और मस्तक पर लगा दें। भस्म को लगाते समय भी मंत्र पढ़ते रहें।
यदि स्थिति अधिक खराब हो तो अनार की कलम और रक्त चंदन के पानी से भोजपत्र पर यही मंत्र लिखें और कवच में बंद करके मंत्र से ग्यारह बार अभिमंत्रित करें और लोबान से धूपित कर रोगी के गले में बांध दें। इसका शीघ्र प्रभाव दिखाई देगा।
इस तरह साधक भूतरोग विनाशक मंत्र का प्रयोग करके भुत प्रेत,डाकिनी शाकिनी,चुडेल ब्रह्मराक्षस और जिन्न जिन्नात को आसानी से निकाल सकता हे.
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