मंगल कलश स्थापना

जब कोई साधक बड़ी तांत्रिक साधना करना चाहता हे तो उसको देवी शक्ति की स्थापना और कलश स्थापना करनी आवश्यक हे,में साधक मित्रो के लिए मंगल कलश स्थापना मंत्र दूंगा जिसका प्रयोग करके आप कलश स्थापना कर सकते हो,

मंगल कलश स्थापना एक पूजा आयोजन का हिस्सा हो सकती है, जो विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों में की जाती है। मंगल कलश का स्थापना मंत्र आपके संदर्भ और परंपरा के आधार पर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन यहाँ पर एक सामान्य प्रक्रिया दी गई है:

प्रयासर्थ करें कि आपके पास आवश्यक सामग्री जैसे कलश (पानी भरने के लिए एक बड़ा बर्तन), कोकोनट, मंगल सूत्र (हल्दी वाली सूत्र), दुर्वा ग्रास, सुपारी, कुमकुम, चावल, फूल, नारियल पान का गुटका, और धूप-दीप के सामान के साथ हो।

एक शुद्ध और शुभ मान्यता अनुसार अपने मंगल कलश को तैयार करें। इसमें पानी भरकर, नारियल, कोकोनट, सुपारी, फूल, दुर्वा ग्रास, कुमकुम, चावल, और नारियल पान का गुटका शामिल होते हैं।

अपने मंगल कलश को एक शुभ स्थान पर रखें, जैसे कि पूजा स्थल या अपने घर के पूजा कमरे में।

मंगल कलश स्थापना करने के लिए पूजा विधि का पालन करें, जो आपकी परंपरा और आपके आध्यात्मिक गुरु या पंडित द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर होगा।

मंगल कलश स्थापना के समय मंत्र पठ करें। मंत्र का चयन आपकी धार्मिक धारा के आधार पर होगा।

मंगल कलश की पूजा के दौरान आरती करें, धूप-दीप जलाएं, और भगवान का आशीर्वाद मांगें।

मंगल कलश का आदर्श रूप से रखें और इसकी पूजा को नियमित रूप से करें, ताकि आपके घर में खुशियाँ और शुभता बनी रहे।

मंगल कलश स्थापना

कलश स्थापना प्रथम मंत्र:-

ॐ  हां  ही  हूं  हौं हः नमोहते भगवते श्रीमते पन-महापा-  तिगिंछ-केसरि- पुण्डरीक- महापुण्डरीक-गंगा-सिन्धु- रोहिद्रोहितास्या हरिद्धहरिकान्ता सीता सीतोदा नारी  नरकान्ता  सुवर्णकूला रूप्यकूला रक्ता रक्तोदा क्षीराम्भोनिधि-शुद्ध जलं  सुवर्णधर्ट प्रक्षालित-परिपूरितं नवरत्न-गंधाक्षत-पुष्पार्चितममोदकं पवित्रं कुरु कुरु झं झं झौं झौं वं वं मं मं हं  हं क्षं सं लं लं पं यं द्रा द्रां द्रीं द्रीं हं सः स्वाहा।

मंत्र-

ॐ   ही  स्वस्ति विधानाय  मंगल  कलश  स्थापनं करोमि।

कलश स्थापना द्वितीय मंत्र:-

ॐ  अद्य  भगवतो महा  पुरुषस्य श्रीमदादिब्रह्मणो मतेस्मिन्  विधीयमाने  कर्मणी  श्री   वीर  निर्माण संवत्सरे मासे पक्षे तिथ वासरे प्रशस्त लगने कार्यस्य निर्विघ्नं  समाप्त्यर्थे  नवरत्न  गंध   पुष्पाक्षत  श्री फलादि शोभितं मंगल कलश स्थापनम्  करोमि।  श्रीं झ्वी हं सः स्वाहा।

(8) यंत्र स्थापना मंत्र-

ॐ  ह्रीं  स्वस्ति विधानाय मंगल श्रीमहायंत्र स्थापन करोमि।

साधक हमारे दिए गई मंगल कलश स्थापना मंत्र का प्रयोग करके कलश स्थापित कर सकता हे.

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