जब कोई साधक साधना करता हो तो उस साधक को उत्कीलन करना पड़ता हे,जब आप कोई मंत्र की सिद्धि विधिवत करना चाहते हो और आपका कोई गुरु नहीं हे तो आपको मंत्र सिद्ध करने में बहुत देर लग सकती हे इसलिए आपको विधि विधान का अनुसरण करना जरुरी होता हे,आज में आपको शक्तिशाली मंत्र देने वाला हु इसका प्रयोग करके आप उत्कीलन कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मंत्र का उत्कीलन मंत्र कैसे काम करता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे, पहले सकलीकरण करें फिर किसी भी मंत्र का उत्कीलन करें।
ध्यान :
पंच परमेष्ठी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र पढ़ें-
ॐ ह्रीं हो ही सर्व मंत्र- तंत्र-यन्त्रादि नाम उत्कीलन स्वाहा।
मूल मंत्र प्रथम :-
ॐ ह्रीं हो ही पट पंचाक्षराणा मुत्कोलय उत्कीलय स्वाहा।
द्वितीय :-
ॐ जूं सर्व मन्त्र-तन्त्र मन्त्राणां संजीवन कुरु कुरु स्वाहा।
तृतीय :-
ॐ हीं जूं अं आई उ ऊ इंग्लंल ए ऐ ओं अं अः कं खं गं चं ऊँ, च छ ज झं, टं ठंडं दंणं, त थ द धन,
पं फ ब भ म य र ल व शं संबई मात्रक्षराचं सर्वम् उत्कीलनं कुरु स्वाहा।
ॐ सो हं हं सो हं (११ बार) ॐ जूं सों हं हं सः ॐ ॐ (११ बार) ॐ हं जूं हं सं गं (११ बार) सो हं हं सो यं (११ बार) लं (११ बार) ॐ (११ बार) ये (११ बार)।
चतुर्थ :
ॐ ही मन्त्रावराणां उत्कीलन उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा।
पंचम :
ॐ ही जू सर्व मन्त्र तन्त्र मन्त्र स्तोत्र कवचादीनां संजीवय संजीवय कुरु कुरु स्वाहा।
साधक ऊपर दिए गई मंत्र का प्रयोग करके साधक उत्कीलन कर सकता हे इस मंत्र को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता हे.
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