कोई भी साधना हो बिना संकल्प किये सिद्ध नहीं हो पाती,जब आप संकल्प लेकर साधना का प्रारम्भ करोगे तो आपकी साधना सफल हो जाएगी,आज में इस पोस्ट में मंत्र जाप का संकल्प लेने की सम्पूर्ण विधि देने वाला हु,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मंत्र जाप का संकल्प लेने की सम्पूर्ण विधि क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
शुद्धि:
सबसे पहले, आपको अपने मन, शरीर, और आत्मा की शुद्धि करनी चाहिए. इसके लिए एक अल्प व्रत रखें और अपने आप को धार्मिकता के नियमों के अनुसार जीने का प्रयास करें.
गुरु की आज्ञा:
आपको एक आदरणीय गुरु से मंत्र का प्राप्त करना चाहिए, और उनकी आज्ञाओं का सख्त पालन करना चाहिए.
मंत्र का चयन:
अपने गुरु की संवादना के आधार पर मंत्र का चयन करें. मंत्र को ध्यान से सुने और उसकी उच्चारण का विशेष महत्व दें.
संकल्प:
मंत्र जाप करने से पहले, आपको मन में संकल्प लेना चाहिए कि आप किस उद्देश्य से मंत्र जाप कर रहे हैं और कितने समय तक करेंगे.
आसन:
एक शुभ और स्थिर आसन में बैठें, जैसे कि पाद्मासन या सुखासन.
जप:
अब मंत्र का जप करें ध्यानपूर्वक और श्रद्धा भाव से मंत्र का उच्चारण करें. मन को अन्यज्ञान से मुक्त करके मंत्र के अर्थ को समझने का प्रयास करें.
कर्मफल त्याग:
मंत्र जाप करते समय, कर्मफल की आकांक्षा न करें और उसे त्याग दें. आपका ध्यान केवल देवता की ध्यानाभावन को होना चाहिए.
ध्यान:
मंत्र के जप के बाद, कुछ समय के लिए ध्यान में बिताएं, और दिव्य अनुभव का आनंद लें.
ॐ ह्री जापस्य संकल्पं कुर्मः निर्विघ्नं समाप्तिर्भवतु अहे नमः स्वाहा।
आप उपर्युक्त संकल्प मंत्र का प्रयोग करके आप साधना के पहले संकल्प ले सकते हो,
इस तरह आप मंत्र जाप का संकल्प लेने की सम्पूर्ण शाबर विधि का प्रयोग करके संकल्प ले सकते हो.
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