छिन्नमस्ता देवी दस महाविधा में परिगणित शक्ति हे यानि की इस शक्ति का स्थान दस महाविधा में हे,माता छिन्नमस्ता की साधना तामसिक क्रिया से और सात्विक क्रिया से होती हे,कोण सी क्रिया से साधक माता की साधना करना चाहता हे वो सब साधक पर निर्भर हे,इस शक्ति को तंत्र की शक्ति मानी गयी हे ऐसा कोई कार्य नहीं हे जो छिन्नमस्ता से ना होता हो सब कार्य वो चुटकी में करने क्षमता रखती हे,आज में आपको महाविधा छिन्नमस्ता का महामंत्र देने वाला हु जिसको सिद्ध करके आप उसकी सिद्धि हासिल कर सकते हो,
छिन्नमस्ता हर शक्ति के साथ चलती हे चाहे वो शक्ति बुरी हो या अच्छी,अगर किसी पर काला जादू किया हो वहा महेली शक्ति हो तो भी छिन्नमस्ता वहा जाकर उस काले जादू की काट कर देती हे,
ये मंत्र माता छिन्मस्ता का बहुत ही शक्तिशाली हे ये मंत्र हर तंत्र की काट करने में माहिर हे अगर इसका प्रयोग सही तरीके से नहीं करोगे तो इसका फल साधक को नहीं मिलेगा।
तो चलिए विस्तार से जानते हे महाविधा छिन्नमस्ता का महामंत्र कैसे सिद्ध होता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र:-
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनिये ह्रीं ह्रीं फट स्वाहा ॥
साधना:-
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए पुरे 45 दिन की साधना करनी पड़ेगी, एक बाजोठ ले ले, उस बाजोठ पर लाल वस्त्र बिछा दे और उस पर माता छिन्मस्ता की प्रतिमा स्थापित करे साधना का समय सुबह 7 बजे रखे सुबह 5 माला करे और रात 10 बजे 5 माला करे , नैवेध में माता रानी को फल फुल चढ़ाये और 45 दिन तक अखंड दीपक जलाये, हररोज एक ही विधि रहेगी,साधना के आखरी दिन हवन करे मंत्र सिद्ध हो जायेगा।
प्रयोग:-
जब मंत्र सिद्ध हो जाये तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते हो,किसी पर बुरी नज़र हो या भुत प्रेत छोड़ा हो तब उस व्यक्ति को उपर्युक्त मंत्र 7 बार काले धागे पर पढके उस व्यक्ति के दाए हाथ में बांध देने से भुत प्रेत या नज़र का प्रभाव ख़त्म हो जायेगा।
(उपर्यक्त मंत्र को जाग्रत रखने के लिए साल में जब भी ग्रहण आये तब उपर्यक्त मंत्र की 21 माला करे मंत्र जागृत रहेगा)
इस तरह साधक महाविधा छिन्नमस्ता का महामंत्र सिद्ध करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और वो बड़ा तांत्रिक बन सकता हे.
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