किसी भी साधक का कार्य पूर्ण नहीं हो रहा हो या बना कार्य बिगड़ रहा हो तो साधक को इस विश्वावसु गन्धर्व स्तोत्र का पाठ २१ दिन तक करना चाहिए, इस विश्वावसु गन्धर्व स्तोत्र का पाठ करके साधक अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे विश्वावसु गन्धर्व स्तोत्र का पाठ कैसे करते हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे.
प्रणाम-मन्त्रः-
ॐ श्रीगणेशाय नमः ।।
ॐ श्रीगणेशाय नमः ।।
ॐ श्रीगणेशाय नमः ।।
ॐ श्रीसप्त-श्रृंग-निवासिन्यै नमः ।।
ॐ श्रीसप्त-श्रृंग-निवासिन्यै नमः ।।
ॐ श्रीसप्त-श्रृंग-निवासिन्यै नमः ।।
ॐ श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजाय कन्याभिः परिवारिताय नमः ।।
ॐ श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजाय कन्याभिः परिवारिताय नमः ।।
ॐ श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजाय कन्याभिः परिवारिताय नमः ।।
।। पूर्व-पीठिका
ॐ नमस्कृत्य महा-देवं, सर्वज्ञं परमेश्वरम् ।।
।। श्री पार्वत्युउवाच
भगवन् देव-देवेश, शंकर परमेश्वर ! कथ्यतां मे परं स्तोत्रं, कवचं कामिनां प्रियम् ।।
जप- मात्रेण यद्वश्यं, कामिनी-कुल-भृत्यवत् । कन्यादि- वश्यमाप्नोति, विवाहाभीष्ट- सिद्धिदम् ।।
भग- दुःखैर्न बाध्येत, सर्वैश्वर्यमवाप्नुयात् ।।
।। श्रीईश्वरोवाच
अधुना श्रुणु देवशि ! कवचं सर्व-सिद्धिदं । विश्वावसुश्च गन्धर्वो, भक्तानां भग-भाग्यदः ।।
कवचं त स्य परमं, कन्यार्थिणां विवाहदं । जपेद् वश्यं जगत् सर्वं, स्त्री-वश्यदं क्षणात् ।।
भग-दुःखं न तं याति, भोगे रोग-भयं नहि । लिंगोत्कृष्ट-बल- प्राप्तिर्वीर्य- वृद्धि-करं परम् ।।
महदैश्वर्यमवाप्नोति, भग-भाग्यादि-सम्पदाम् । नूतन-सुभगं भुक्तवा, विश्वावसु-प्रसादतः ।।
विनियोगः
सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़कर जल भूमि पर छोड़ दे।
ॐ अस्यं श्री विश्वावसु- गन्धर्व-राज-कवच-स्तोत्र-मन्त्रस्य विश्व-सम्मोहन वाम-देव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः
श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राज-देवता, ऐं क्लीं बीजं, क्लीं श्रीं शक्तिः, सौः हंसः ब्लूं ग्लौं कीलकं, श्रीविश्वावसु-गन्धर्व- राज-प्रसादात् भग- भाग्यादि-सिद्धि- पूर्वक-यथोक्त॒पल-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः ।।
ऋष्यादि-न्यासः
विश्व-सम्मोहन वाम-देव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राज-देवतायै नमः हृदि, ऐं क्लीं बीजाय नमः गुह्ये, क्लीं श्रीं शक्तये नमः पादयो, सौः हंसः ब्लूं ग्लौं कीलकाय नमः नाभौ, श्रीविश्वावसु- गन्धर्व-राज-प्रसादात् भग-भाग्यादि- सिद्धि- पूर्वक- यथोक्त॒पल- प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।।
षडङ्ग-न्यास – कर-न्यास – अंग-न्यास
ॐ क्लीं ऐं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः
ॐ क्लीं श्रीं गन्धर्व- राजाय क्लीं तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा
ॐ क्लीं कन्या-दान- रतोद्यमाय क्लीं मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट्
ॐ क्लीं धृत-कह्लार- मालाय क्लीं अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुम्
ॐ क्लीं भक्तानां भग- भाग्यादि- वर- प्रदानाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्
ॐ क्लीं सौः हंसः ब्लूं ग्लौं क्लीं करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्
ध्यानः-
क्लीं कन्याभिः परिवारितं, सु-विलसत् कह्लार-माला-धृतन्,
स्तुष्टयाभरण- विभूषितं, सु-नयनं कन्या-प्रदानोद्यमम् ।
भक्तानन्द- करं सुरेश्वर-प्रियं मुथुनासने संस्थितम्,
स्रातुं मे मदनारविन्द-सुमदं विश्वावसुं मे गुरुम् क्लीं ।।
मन्त्रः-
ॐ क्लीं विश्वावसु- गन्धर्व-राजाय नमः ॐ ऐं क्लीं सौः हंसः सोहं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सौः ब्लूं ग्लौं क्लीं विश्वावसु- गन्धर्व- राजाय कन्याभिः परिवारिताय कन्या- दान-रतोद्यमाय धृत-कह्लार-मालाय भक्तानां भग- भाग्यादि-वर- प्रदानाय सालंकारां सु-रुपां दिव्य-कन्या-रत्नं मे देहि-देहि, मद्-विवाहाभीष्टं कुरु-कुरु, सर्व- स्त्री वशमानय, मे लिंगोत्कृष्ट-बलं प्रदापय, मत्स्तोकं विवर्धय-विवर्धय, भग-लिंग-रोगान् अपहर, मे भग-भाग्यादि-महदैश्वर्यं देहि-देहि, प्रसन्नो मे वरदो भव, ऐं क्लीं सौः हंसः सोहं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सौं ब्लूं ग्लौं क्लीं नमः स्वाहा ।।
इस तरह साधक मनोकामना पूर्ति के लिए विश्वावसु गन्धर्व स्तोत्र का पाठ कर सकता हे, २१ दिन तक एक बार जरुर पाठ करे.
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