कभी कभी नज़र लगने से कोई तात्रिक क्रिया करने से सरदर्द जाता नहीं हे,बहुत सारे अस्पताल जाने के बावजूद भी आपको राहत ना मिले तो आपको इस मंत्र का सहारा अवश्य लेना चाहिए,इस मंत्र की सिद्धि से शिर र्दर्द और आधा शीशी का दर्द आसानी से मिट जाता हे,आज में इस पोस्ट में शिर दर्द मिटाने का शक्तिशाली मंत्र लेकर आया हु जिसका प्रयोग करके आप शिर दर्द मिटा सकते हो,
सर का आधा हिस्सा होता हे उसमे जब तेज़ दर्द हो तो उसको आधा शीशी बोलते हे और ये बीमारी लाइलाज बीमारी हे उसका इलाज सिर्फ तंत्र द्वारा ही किया जाता हे,जो लोग किसीका दुःख दर्द मिटाना चाहता हे उस व्यक्ति को ये मंत्र सिद्ध करना चाहिए,
तो चलिए विस्तार से जानते हे शिर दर्द मिटाने का मंत्र कैसे काम करता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र:-
लङ्कर में बैठ के माथ हिलावे हनुमन्त । सो देखि के राक्षस-गण पराय दूरन्त ।
बैठी सीता देवी अशोक वन में। देखि हनुमान को आनन्द भई मन में। गई उर विषाद, देवी स्थिर बरशाय। अमुक के सिर व्यथा पराय॥
‘अमुक’ के नहीं कछु पीर, नहिं कछु भार ।
आदेश कामाख्या हरिदासी, चण्डी की दोहाई॥
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
इस मंत्र को ग्रहण काल में सिद्ध करले जब तक ग्रहण लगा रहे तब तक आपको मंत्रजाप करना हे,ग्रहण ख़तम हो जाये तब मंत्रजाप बंध कर दे आपका मंत्र सिद्ध हो जायेगा,
प्रयोग
पीड़ित व्यक्ति को दक्षिणाभि मुख बैठा कर उसके सिर को अपने हाथ से पकड़े। फिर निम्न ‘शाबर’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए झाड़े।
‘अमुक’ के स्थान पर रोगी का नामोच्चारण करना चाहिए।
इस तरह आप शिर दर्द मिटाने का मंत्र को सिद्ध करके शर दर्द मिटा सकते हो.
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