शिव पंचाक्षरी मंत्र

मनोकामना पूर्ति हेतु,सुख और समृद्धि के लिए और मन की शांति के लिए साधक शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप कर सकता हे,ॐ नमः शिवाय शिव का पंचाक्षरी मंत्र हे,सुबह और शाम आप ॐ नमः शिवाय मंत्र की एक एक माला कर सकते हो और सोमवार के दिन आप शिव लिंग पर एक बिल्वपत्र चढ़ाकर शिव को प्रसन्न कर सकते हो,

शिव पंचाक्षरी मंत्र

ॐ  नमः शिवाय को ही शिव का पंचाक्षरी मंत्र कहा जाता  है। इसका  नियमित रूप से जाप करना सभी संकटों  से  मुक्ति  दिला देता है। साथ ही मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।

सम्पुर्ण  जगत में भगवान शिव के समान  कोई नही है। उनकी उपासना से बढ़कर कोई उपसाना  नही है एवं उनके मंत्रो से बढ़कर कोई मंत्र नही है।

मनुष्य  योनि  प्राप्त  करना तभी सफल है जब यह भगवान  शिव  की  सेवा एवं भक्ति में समर्पित हो जाये । भगवान शिव  को  प्रसन्न करना ही मनुष्य का एकमात्र  लक्ष्य  होना चाहिए । जिस व्यक्ति ने इस  जन्म  में  भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया, उसके लिए करने को कुछ शेष नही रह जाता ।

वैसे  तो  भगवान  शिव  को प्रसन्न करने की कोई विधि  नही है क्योंकि वो अपने भक्तों पर कब और कैसे  प्रसन्न  हो जायें ये कोई नही जानता फिर भी गुरूओं  के  मुख  से  जो कुछ भी प्राप्त हुआ उसके अनुसार व्यक्ति को साधना करनी चाहिए।

भगवान शिव का षडाक्षरी मंत्र सर्वश्रेष्ठ  एवं  सर्व  शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र के जप  से  आध्यात्मिक विकास होता है एवं अन्त में मोक्ष प्राप्ति होती है।

इस  संसार के सभी ऐश्वर्य एवं भोग शिव साधक के आगे  नतमस्तक  रहते  है। कोई  दुख अथवा कष्ट भगवान शिव के साधक को नही छू सकता ।

शिव  योगी  सदैव निरोगी रहता है एवं १०० वर्ष की आयु पूर्ण कर मोक्ष प्राप्त करता है।

प्राचीन काल में लोग लम्बी आयुष्य की प्राप्ति के लिए भी ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते थे.

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