माता षोडशी दस महाविधा में परिगणित विधा हे इसकी साधना सम्पूर्ण करके साधक हर तांत्रिक क्रिया कर सकता हे,माता षोडशी की साधना करने से पूर्व साधक षोडशी ध्यान कर सकता हे,
बालार्कमण्डलाभासां चतुर्बाहुं त्रिलोचनाम् ।
पाशांकुशशरांश्चापं धारयन्तीं शिवां भजे ॥
माता षोडशी का ध्यान भारतीय धार्मिक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण ध्यान पद्धति है, जिसका मुख्य उद्देश्य मातृ शक्ति के साथ संबंध स्थापित करना और अपनी अंतरात्मा को प्रकट करना है। षोडशी ध्यान को अपनाने से आत्म-ज्ञान, शक्ति, शांति, और सकारात्मकता की प्राप्ति होती है। निम्नलिखित हैं माता षोडशी के ध्यान करने के कुछ चरण:
आसन:
ध्यान शुरू करने से पहले एक शांत और सुखद आसन में बैठें। साधना के लिए पवित्र और शुद्ध जगह चुनने का भी ध्यान रखें।
शुद्धि:
पूर्वांग शुद्धि के लिए पानी से हाथ और मुख धोकर, शुद्ध वस्त्र पहनें। भगवान गणेश की पूजा करके उनसे आशीर्वाद लें क्योंकि वे हर शुभ कार्य में आपकी सहायता करते हैं।
संकल्प:
मन में संकल्प बनाएं कि आप माता षोडशी के ध्यान को अपनाएंगे और उनसे आत्मिक समृद्धि के लिए अनुरोध करेंगे।
षोडशी मंत्र का जप:
“ऐं क्लीं सौः” यह माता षोडशी का मंत्र है। ध्यान करते समय इस मंत्र का जाप करें। इसे मन में धारण करें या अपने ध्यान को मंत्र के साथ समन्वित करें।
मूर्ति ध्यान:
माता षोडशी की मूर्ति को मन में ध्यान करें या फिर आंखें बंद करके उनकी धारणा करें। वे अमृत से प्रवाहित हो रही हैं और विशाल भक्ति रूपी सागर में विराजमान हैं।
मनसा पूजा:
माता षोडशी के प्रति आपकी भक्ति को मनसा पूजा द्वारा व्यक्त करें। मन में उन्हें अपने समर्पण का भाव देकर उनकी पूजा करें।
ध्यान के समय मन को स्थिर रखें: ध्यान करते समय मन के विचरों को शांत रखने का प्रयास करें। अगर मन भटकने लगे तो उसे धीरे से मात्र में वापस लाएं और फिर से मंत्र जप का ध्यान धरें।
ध्यान का समय:
शुरुआत में आप प्रतिदिन 5-10 मिनट ध्यान करने का प्रयास कर सकते हैं और जब आप ध्यान में सुधार कर अधिक स्थिर हों, तो समय को बढ़ा सकते हैं।
ध्यान योग एक अभ्यास है और समय लगता है कि इसमें स्थिरता आए। धीरे-धीरे आपको इसमें सिद्धि होगी और आप आत्मा के साथ जुड़ते जाएंगे। इसलिए, नियमित अभ्यास करना ध्यान में सफलता की कुंजी है।
इस तरह साधक माता षोडशी की साधना करने से पूर्व षोडशी ध्यान करके माता रानी के आशीर्वाद प्राप्त कर सकता हे.
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