सभा में मान-सम्मान पाने के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं:
सभा में मान सम्मान पाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग कैसे करते हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
“यथा राजा तथा प्रजा, यथा सभा तथा न्याय।
देवताओं की कृपा बनी रहे, मेरे सामर्थ्य का आया।
अपार सम्मान प्राप्त हो, सदा ऋणी बना रहूँ।
मेरी वाणी सदा सत्य बोले, मेरा मन निर्मल बना रहूँ।
सभा में चर्चा अच्छी हो, मेरा सदस्यता आदर्श हो।
सबका साथ मैं सम्मान से रखूँ, इस मंत्र का जाप नियमित करूँ।”
विधि
इस मंत्र का नियमित जाप करने से, आप सभा में मान-सम्मान प्राप्त करने और सभा के सदस्य के रूप में आदर्शता को प्रदर्शित करने में मदद मिल सकती है। यह मंत्र आपकी सामर्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ सत्यनिष्ठा, निष्कपटता, और सहयोग की भावना को भी संकेत करता है।
मंत्र
तेहिं अवसर सुनि सिवधनु भंगा।
आयउ भृगु कुल कमल पतंगा ॥
विधि :
शनिवार के दिन चौराहे में बैठकर इस मन्त्र के १०००० जप करें और जब आवश्यकता हो तब इस मन्त्र के २१ बार पढ़कर सभा की तरफ फूँक मार दें। इस मन्त्र के प्रयोग से सभा का स्तम्भन किया जाता है। तथा इससे आपके सम्मान में वृद्धि होगी।
सभा मोहिनी तिलक
गोरोचन पतरज और केशर और मैनसिल लीजे।
जल में पीसे तिलक लगावे जिहि सनमुख मुंख कीजे ॥
सो बश होय प्यार सों बोले मन की घुंडी खोले ।
राज सभा में यही मोहिनी मुख मुख नीके बोले ॥
इस मंत्र से साधक मोहिनी तिलक बना सकता हे और किसी को भी वश में कर सकता हे,
सभा मोहिनी सुर्मा
कालूं मुख धोयें करुं सलाम मेरी आंखों में
सुर्मा बसे जो देखो सो पायन पड़े दुहाई गौसुल
आदम दस्त गीर की छ:३: ।
विधि-
सवा लाख गेहूं पर मन्त्र पढ़े आटा पिसाई कड़ाही में घृत शकर मिलाय हलुवा करे गौसुल आजम दस्तगीर की नियाज दिला के हलुवे को आप ही भोग लगावे और दर्बार में जाय तो सारी सभा वश्य हो ।
इस तरह साधक सभा में मान सम्मान पाने के लिए हमारे दी गई मंत्र का प्रयोग कर सकता हे और किसी को भी अपने अनुकूल कर सकता हे.
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