सीतारामजी के दर्शन के लिये साधक उसका भजन कीर्तन और उपासना कर सकता हे, सच्चे दिल से अगर भक्त श्री राम और सीताजी का भजन करेगा उसकी उपासना करेगा तो वो किसी ना किसी रूप में आकर भक्त को जरुर दर्शन देते हे,
मन में दृढ संकल्प लेकर साधक को उसकी उपासना साधना करनी चाहिए, सीतारामजी के नाम पर गरीब बच्चो को कुछ ना कुछ खिलाना चाहिए और अपनी शक्ति अनुसार कुछ दान भेट भी कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे सीतारामजी के दर्शन के लिये साधक को किस मंत्र का जाप करना चाहिए और किन किन नियमो का पालन करना चाहिए उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
सीतारामजी के दर्शन करने के लिए आपको कुछ विशेष चीजें करने की आवश्यकता नहीं है। हिंदू धर्म में भक्ति और श्रद्धा के साथ ईश्वर की प्राप्ति होती है। लेकिन अगर आपको चाहिए तो आप मंदिर जा सकते हैं, पूजा कर सकते हैं, रामायण अथवा सीतारामचरितमानस की पाठशाला में भी जा सकते हैं। इनके अलावा, आप अपने मन में उनका ध्यान करते हुए भक्ति और भजन कर सकते हैं। याद रहे, सीतारामजी के दर्शन मानसिक शुद्धि और भक्ति में होते हैं, इसलिए उनके प्रति आपकी निष्ठा और प्रेम महत्वपूर्ण होते हैं।
मंत्र
नील सरोरूह नील मनि, नीर रूप धर स्याम
लाजहिं तन सोभा निरखि, कोटि-कोटि सत काम ॥
सीताराम सीताराम सीताराम कहिये,
जग जाननी जानकी जीवन धनिये।
सुनि प्रिय सीताराम सतगुरु सन्त आज,
प्रान प्यारे रामचंद्र की दरसन कीजिए।।
साधक उपर्युक्त मंत्र का जाप कर सकता हे कम से कम ४५ दिन तक जरुर जाप करे और साधक अपनी शक्ति अनुसार जाप कर सकता हे, ४५ दिन तक साधक को पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक हे और मांस मदिरा का सेवन करना वर्जित हे,
इस तरह साधक सीतारामजी के दर्शन के लिये लिए इस मंत्र का प्रयोग कर सकता हे.
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