सुरसुन्दरी योगिनी

योगिनी की साधना माँ के रूप में करनी चाहिए अगर साधक माँ के रूप में साधना करोगे तो आपको जरुर उसके आशीर्वाद मिल सकते हे और दिव्य रसायन प्रदान करती हे,इस साधना की खासियत ये हे की अगर साधक किसी और स्त्री के साथ सबंध बनाता हे तो आपकी साधना निष्फल हो सकती हे और योगिनी आपको बर्बाद भी कर सकती हे, आज में आपको सुरसुन्दरी योगिनी साधना इस पोस्ट में देने वाला हु,

सुरसुन्दरी की साधना बहुत ही कठिन साधना हे और ये अगर सिद्ध हो गयी तो कभी भी साधक का साथ नहीं छोडती,साधक के हर कार्य चुटकी में कर देती हे और योगिनी के लिए कोई कार्य कठिन नही हे,साधक को ध्यान ये रखना हे की साधक को इसका उपयोग गलत काम के लिए नहीं करना हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे सुरसुन्दरी योगिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे.

सुरसुन्दरी योगिनी

मंत्र

ॐ ही आगच्छ सुरसुन्दरि स्वाहा।

विधि

उपर्युक्त मंत्र का ४१ दिन तक रात १२ बजे जाप करे हररोज  ५  माला करे   सुरसुन्दरी  सिद्ध  हो  जाएगी।

साधना से पूर्व साधक को एक अपने कुलदेवता की माला करनी हे और एक माला गुरूजी की करनी हे,साधना से पूर्व हाथ में जल लेकर आपको दृढ संकल्प लेना हे फिर साधना का प्रारम्भ करना हे ,

सुरसुन्दरी योगिनी साधना  की सिद्धि मिल जाने के बाद साधक को उस सिद्ध मंत्र का जाप साधक को ग्रहण काल और नरक चतुर्दशी पर ११ माला करके मंत्र को जागृत कर लेना हे,मंत्र जागृत करके साधक मंत्र की शक्ति को जागृत रख सकता हे,

साधक को इस सिद्धि का उपयोग गलत काम के लिए नहीं करना हे सिर्फ आपको जनहित के कार्य ही करना हे अगर आप इसका उपयोग गलत काम में करोगे तो आपकी साधना निष्फल हो सकती हे,

इस तरह साधक सुरसुन्दरी योगिनी साधना  करके सुरसुन्दरी यक्षिणी की सिद्ध हासिल कर सकता हे.

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