आज में साधक मित्रो को हनुमान साधना के बारे में बताऊंगा और हनुमान सिद्धी के बारे में बताऊंगा, हनुमानजी की साधना करके आप हनुमानजी की सिद्धि हासिल कर सकते हो, रोग से मुक्ति, मुठ चोट का निवारण, वशीकरण और मोहन और मारण जैसे कार्य आप हनुमानजी की साधना करके आप कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे हनुमान सिद्धि के बारे में उसकी सिद्धि कैसे हासिल होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
हनुमान साधना करना वैसे तो बहुत ही कठिन हे पर कष्ट को दूर करने वाली साधना हे,हनुमान साधना या सिद्धीप्राप्त करने के लिए साधक को कुछ नियमो का पालन करना जरुरी होता हे जैसे की नित्य जाप, विधी विधान के साथ पूजा पाठ, ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत ही जरुरी होता हे, मांस और मदिरा का सेवन करना या सेवन करना हनुमान साधना में बिलकुल वर्जित हे।
हनुमानजी महाराज कलयुग के जागृत देवता हे और हनुमानजी साधक के कष्टों का और पापो का निवारण करने वाले देवता हे। हनुमानजी के कुछ मंत्रो से वशीकरण, शंतिकरण मोहिनी जैसे कई सारे कार्य कर सकते हे,बजरंग बाण के माध्यम से अच्छे अच्छे तंत्र की काट कर सकते हे और इसके माध्यम से वशीकरण भी कर सकते हे, हनुमान बाहुक मनुष्य के पीड़ा को हरने में सहायता करता हे, इस पुस्तक में विधिसर हम हनुमान साधना के बारे में जानेंगे।
विनियोग
ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं हूं हैं ह्रौं ह्र
उपर्युक्त मंत्र की कम से कम एक माला करे।
करन्यास
ॐ ह्राँ अंगुष्ठाभ्यां नमः ।।
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ।९।
ॐ हूं मध्यमाभ्यां नमः । १० ।
ॐ हैं अनामिकाभ्यां नमः । ११ ।
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । १२ ।
ॐ ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः । १३ ।
हदयादिन्यास
ॐ अंजनी सूतवे नमः, हृदयाय नमः । १४ ।ॐ रुद्रमूर्तये नमः, शिरसे स्वाहा ।१५ ।
ऊँ वातात्मजाय नमः, शिखायं वषट । १६ ।
ऊँ रामभक्तिरताय नमः, कवचाय हुम् । १७ ।
ॐ वज्र कवचाय नमः, नेत्रत्र्याय वौषट् । १८ ।
ॐ ब्रह्मास्त्र निवारणाय नमः, अस्त्राय फट् । १९
ध्यान
ॐ ध्यायेद बालदिवाकर द्युतिनिभं देवारिदपपिह,
देवेन्द्र प्रमुख प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा । २० ।
सुग्रीवादि समस्त वानरयुतं सुव्यक्ततत्वप्रियं,
संरक्तारूण लोचनं पवनजं पीताम्बरालंकतम् । २१ ।
उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकट रुचि युतं चारुबीरासनस्थं,
मौंजी यज्ञोपवीताऽऽभरण रुचि शिखा शोभितं
कुण्डलाढयम् । २२ ।
भक्तानामिष्टदम्नप्रणतमुनजनं वेदनादप्रमोदं, ध्यायेद्देवं
विधेय प्लवगकुलपति गोष्पदीभूतवर्धिम् । २३ ।
उद्यदक्षिण दोर्दण्डं हनुमन्तं विचिन्तये । २४ ।
स्फटिकाभं स्वर्णकान्ति द्विभुजं च कृताञ्जलिम्,
कुण्डलद्वय संशोभि मुखाम्भोज हरि भजे । २५ ।
हनुमान जी की साधना या सिद्धि करने के लिए हनुमानजी का ध्यान करना बहुत जरुरी हे।
इस पोस्ट को पढ़कर आपको पता चल गया होगा हनुमान सिद्धी के बारे में पता चल गया होगा.
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