जल मंत्र एक विशेष प्रकार का मंत्र होता है जो जल के गुणों एवं ऊर्जा को अनुसंधान करता है। इस मंत्र का उच्चारण और साधना उपयोगी होता है जो शरीर, मन और आत्मा के लिए शांति एवं स्वस्थता प्रदान करता है।

इस  मंत्र की साधना करने के लिए, पहले एक शुद्ध जल की बोतल ली जाती है। इसके बाद बोतल में एक जल मंत्र के उच्चारण के बाद जल को प्राणिक ऊर्जा से चारों ओर लबालब कर दिया जाता है। इसके बाद जल को पी लेना चाहिए जो शांति और स्वस्थता प्रदान करता है।

जल मंत्र कुछ इस प्रकार होते हैं:

ऊँ जलाय स्वाहा।

ऊँ जल धारय स्वाहा।

ऊँ जलेश्वराय विद्महे अपो देवाय धीमहि तन्नो जल प्रचोदयात्।

इन मंत्रों को नियमित रूप से उच्चारण करने से जल के गुणों का अध्ययन किया जा सकता है और जल के साथ आत्मा की ऊर्जा को भी संतुलित किया जा सकता है।

ये निचे दिया ये  मंत्र बहुत ही शक्तिशाली हे और बहुत ही प्राचीन हे इसकी सिद्धि नवनाथ के पास थी और आज में आपको इस मंत्र को कैसे सिद्ध करते हे उसके बारे में विस्तार से बताऊंगा,

जल मंत्र

मंत्र

जल देव मिरूयामि

पृथ्वी जल नमः पारवर्तित

जलाप्य जल निरूयामि निरूयामि नमः

समुन्द्रादि पारवितम् जलम धारूणी नमः

गंगे शिवम् रूपेणी जलम उधारणम नमः

संसार जल प्रयाणी नमः

भारमणी जल नारमणी जलम् फिरयामी

जगतम् उत्तथाननम्

सारेम् जगतम् जलम् धरती नमः

पारवर्तितम नमः

जलम् भाव भाव नमः

संसारम् पिरलानि पिरलानि नमः

करुणा वरितम् नमः

जल मारयामि नमः

इति सिद्धम्!!

मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान

साधना का प्रारम्भ रविवार से करे ११ दिन की साधना हे,रुद्राक्ष की माला से उपर्युक्त मंत्र की ३ माला करे और सामने एक दीपक प्रज्वलित करे ये विधि लगातार आपको ११ दिन तक करनी हे मंत्र सिद्ध हो जायेगा,

इस तरह साधक इस  मंत्र को सिद्ध करके जल को अभिमंत्रित कर सकता हे और उस जल से मन चाहा कार्य कर सकता हे,उस जल को अभिमंत्रित करके किसी रोगी व्यक्ति को देने से उसका रोग भी ठीक हो सकता हे इतनी शक्ति इस मंत्र में हे.

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