सभी यक्षिणी की साधना अलग अलग प्रकार से होती हे और उसके फल भी अलग अलग प्रकार के मिलते हे,यक्षिणी की साधना गुरु की देखरेख में होती हे या कोई साधक के पास कोई भी शक्ति की सिद्धि हे तो वो यक्षिणी की साधना कर सकता हे,आज में आपके लिए यक्षिणी की गुप्त साधना लेकर आया हु जिसको करके आप यक्षिणी को सिद्ध कर सकते हो,
इस पोस्ट के जरिये में आपको बिकला यक्षिणी और भोजनदा यक्षिणी साधना देने वाला हु तो चलिए विस्तार से जानते हे यक्षिणी की गुप्त साधना कैसे होती हे और उसके क्या क्या निति नियम हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
जिस किसी यक्षिणी का साधन करना हो, उसका माता, भगिनी (बहन), पुत्री अथवा मित्र, इनमें से किसी भी स्वरूप का ध्यान करे। मांस-रहित भोजन करे, पान खाना छोड़ दे, किसी का स्पर्श न करे यक्षिणी भैरव सिद्धि का, तथा निश्चिन्त होकर, एकान्त स्थान में मन्त्र का तब तक जप करे, जब तक सिद्धि प्राप्त न हो। जिन यक्षिणियों के साधन के लिए जिस स्थान पर बैठकर मंत्र जाप की विधि का वर्णन किया गया है उनका साधन उसी प्रकार से करना चाहिए।
बिकला यक्षिणी साधना
मन्त्र
“ॐ विकले ऐं ह्रीं श्रीं क्लें स्वाहा ।”
साधन विधि
घर में बैठकर तीन महीने तक इस मन्त्र का १००००० जप करके कनेर के फूलों का घी सहित दशांश हवन करने अथवा सुरा-धान्य का दशांश हवन करने से ‘विकला यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को इच्छित वस्तु प्रदान करती है।
भोजनदा यक्षिणी साधन
मंत्र
ॐ ह्रीं जलपाणिनि ज्वल ज्वल हुँ ल्वु स्वाहा ।
साधन विधि
शाक, यूष, दूध, सत्तू का भोजन करके किसी श्वेत वस्तु के आसन पर बैठकर, प्रतिदिन पूजन करके उक्त मंत्र का १३००००० जप करे । तदुपरान्त खीर की एक सहस्र आहुतियाँ देकर हवन करे तो भोजनदा यक्षिणी, प्रसन्न होकर साधक को प्रतिदिन एक सहस्र व्यक्तियों का भोजन प्रदान करती है तथा अत्यन्त लम्बी गाय देती हैोसा तंत्रात्रों में कहा गया है।
इस तरह साधक यक्षिणी की गुप्त साधना कर सकता हे और उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे,मेरा सब साधक मित्रो से यही निवेदन हे की कोई भी सिद्धि हासिल करने के बाद उस सिद्धि का उपयोग समाज कल्याण करने के लिए करना चाहिए.
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