आज में आपके लिए अन्नपूर्णा का शाबर मंत्र लेकर आया हु जिसका प्रयोग और सिद्धि करके आप माता अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो,दुःख दरिद्रता का नाश करने के लिए साधक माता अन्नपूर्णा की साधना कर सकता हे,
माता अन्नपूर्णा का मंत्र “अन्नपूर्णे सदा पूर्णे, शङ्कर प्राणवल्लभे। ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥” है। इस मंत्र का अर्थ है, “ओ माता अन्नपूर्णा, जो सदा पूर्ण हैं, जो भगवान शंकर की प्रिय हैं, वह जो ज्ञान और वैराग्य के लिए भिक्षा देती हैं, हे पार्वती, उस माता को हमें देना।”
इस मंत्र का जाप करने से मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा दरिद्रता और अभाव को दूर करने में सहायक हो सकती हैं।
“अन्नपूर्णा शाबर मंत्र” माता अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्ति के लिए एक प्रसिद्ध मंत्र है, जिसे भक्त अन्नपूर्णा माता के दर्शन के बाद पढ़ते हैं. यह मंत्र दरिद्रता और आर्थिक संकट से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी जाना जाता है.
मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं अन्नपूर्णे महानाम मम जप जपं!!
ध्यान और भक्ति के साथ इस मंत्र का जाप करने से मान्यता है कि दरिद्रता और आर्थिक संकटों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है, और व्यक्ति को माता अन्नपूर्णा की आशीर्वाद मिलता है।
मंत्र:-
अन्नपूर्णा अन्न पूरै, इन्द्र पूरै पानी । ऋद्धि सिद्धि तो गणेश पूर्व त्रिपुरा भवानी । ईश्वरी भण्डार भरं, महेश्वरी शोल सन्तोष को डिम्बी। तीन लोक लोई लाओ। सिद्धो जोमो सब कोई। सीता माता की रसोई, जन्म न खाली होई । चला मन्त्र महा यन्त्र, सुमरं फटकन्त स्वाहा । ॐ अजीयाजीता आए स्वाहा।।
विधि-
मंगलवार के सात दिनों में, सात जगह की भिक्षा, एक- एक परिवार से ले। प्रत्येक भिक्षा को, उल्टी चक्की से पीसे और उससे भगवान् हनुमान की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करे । मूर्ति के सामने आसन पर बेठकर उपर्युक्त मन्त्र का २१ माला जप करे। सातवें मंगलवार को, सवा दस अंगुल की आटे की मूर्ति बनाए और उसे अपने भण्डार में स्थापित करे । इस प्रयोग से भण्डार अक्षय होता है
इस तरह साधक माता अन्नपूर्णा की साधना करके माता की कृपा दृष्टी पा सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.
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