बजरंग बाण के अनगिनत फायदे हे ऐसा एक भी कार्य नहीं हे जो बजरंग बाण से ना होता हो, बजरंग बाण हर षट कर्म करने में माहिर हे,साधक को पहले बजरंग बाण को सिद्ध करना पड़ेगा तब जाकर वो काम करता हे,
बजरंग बाण, हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंत्र है जो हिंदू धर्म में पूजा और भक्ति के लिए उपयोग होता है। यह मंत्र पूजा के दौरान अथवा दिनचर्या के साथ संग्रहीत किया जाता है। बजरंग बाण के चालीसा रूप में भी जाना जाता है।
बजरंग बाण का पाठ करने से कई फायदे हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
रक्षा और सुरक्षा:
बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को रक्षा और सुरक्षा की प्राप्ति होती है। हनुमान जी की कृपा से नकारात्मक शक्तियों और बुराइयों से बचाव होता है।
शक्ति और सामर्थ्य:
इस पाठ से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है। यह मंत्र अवधारणाशक्ति को जगाता है और व्यक्ति को सामर्थ्य और उत्साह देता है।
भक्ति और समर्पण:
इस बाण का पाठ करने से हनुमान जी के प्रति भक्ति और समर्पण का आदर्श विकसित होता है। यह मंत्र भक्त को उदार और स्वार्थहीन बनाता है और उसे ईश्वरीय आत्म संयम और सेवा के मार्ग पर ले जाते हे,
बजरंगबाण
दोहा:-
निश्रय प्रेम प्रतीति ते , विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ , सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई:-
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलंब न कीजै। आतुर दौरी महा सुख दीजै॥
जैसे कूदी सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखी परमपद लीन्हा॥
बाग उजारी सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारी संहारा। लूम लपेटी लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरी गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब विलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरी उर सीसा॥
जय अंजनी कुमार बलवंता। शंकर सुवन विर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि शपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केही अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
वन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरी दास कहावौ। ताकी शपथ विलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनी होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरी , कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि दौहरावो॥
उठु , उठु , चलु , तोहि राम दुहाई। पायँ परौं , कर जोरी मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिर कौन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा:-
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै , पाठ करै धरी ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
इस बजरंग बाण की सिद्धि हनुमानजी के मंदिर में होती हे ४१ दिन तक आपको एक माला करनी पड़ेगी,लाल चंदन की या रुद्राक्ष की माला से आपको जाप करना हे और साधना के आखरी दिन आपको एक नारियेल,५ बूंदी के लड्डू और एक लंगोट अर्पित करना हे बजरंग बाण सिद्ध हो जायेगा और बजरंग बाण की सिद्धि से आप हर कार्य कर सकते हो.
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