कोई भी साधना में आपको जाप का महत्व होता हे और साथ साथ साधना में माला का महत्व भी होता हे जब तक आप विधि विधान में बताई गयी माला का प्रयोग नहीं करते तब तक आपको सफलता नहीं मिलती, कोई भी साधना करने से पहले आप अपने गुरु से बात कर ले की कोण सी माला का प्रयोग करना हे और अगर कोई गुरु नहीं हे तो आप विधि विधान को सही से पढ़कर साधना का प्रारम्भ करे और योग्य माला का प्रयोग करे,
हम हमारी साईट पर जितनी भी साधना डालते हे वो सब सम्पूर्ण विधि विधान के साथ ही डालते हे और अगर कोई साधक मित्र को कोई सवाल हे तो वो हमें कमेन्ट करके भी बता सकता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे साधना में माला का महत्व क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
रुद्राक्ष माला पहनने से ब्लडप्रेशर नहीं होता, पपीते के बीज की माला पहनने से प्लेग नहीं होता, कमल बीज की माला पहनने से रोग नहीं होता, मूंगे की माला पहनने से रक्त वृद्धि व शुद्धि होती है। ध्यान दें- सोते समय माला धारण न करें प्रातः स्नान के बाद ही धारण करें। जपते समय सुमेरु का उल्लंघन न करें।अर्थात् माला पूरी होते ही लांघे नहीं बिना विचारे।
सिद्ध करने योग्य मंत्र
जिन मंत्रों के आदि में अथः हो उनको सिद्धादि, जिनके आरंभ में ॐ हो उनको सुसिद्धादि मंत्र कहते हैं। यह दोनों ही शुभ होते हैं। इनको सिद्ध कर ले। किन्तु जिनके आदि में विद्वेषी पद हो उनको साध्यादि कहते हैं उनको सिद्ध न करें।
सुसिद्धादि मंत्र पाठ
मात्र से सिद्धादि जाप से, और साध्यादि जाप होम आदि से साधक को फल देते हैं। प्रणव (ॐ), ह रि (उ), माया ( ह्रीं ), व्योनव्यापी (हुँ ), शड़ क्षय (ष), प्रासाद ( हं ) और बहुरूपी ( भ ) यह सात साधारण ( प्रणव ) माने गए हैं। इनका योग विचार करने की आवश्यकता नहीं। सौरीमंत्र और जिन मंत्रों में भी सिद्ध, साध्य-सुसिद्ध और शत्रु के विचार की आवश्यकता नहीं है। आम्नाय से चले आये हुए गण मंत्रों में प्रणव (ॐ) के, प्रासाद (हं) के और सपिण्डाक्षरों के भी सिद्ध और शत्रु का विचार न करें। एकाक्षर मंत्र, मूलमंत्र और सैद्धान्तिक मंत्रों के भी सिद्ध और शत्रु को न देखें। स्वप्न में दिये हुए, स्त्री से दिये हुए और नपुंसक मंत्र के भी सिद्ध और शत्रु को न विचारे। हंस, अष्टाक्षर मंत्र तथा एक, दो और तीन आदि बीजों के सिद्ध और शत्रु को न विचारे। अकार से लेकर क्षकार तक के अनुस्वार सहित मातृका अक्षरों से सीधे क्रम अथवा वर्णमाला से पृथक प्रत्येक वर्ण को साथ लगाकर जपने से शीघ्र ही सिद्धि मिलती हैं। सब मंत्रों को आदि में हल्लेखा (ही), कामबीज ( क्ली) और श्री बीज को मंत्र की शुद्धि के लिए मंत्र में लगाकर जप करना चाहिए। भार नामक मंत्राक्षर से सम्पुट किया जाने से दुष्ट मंत्र भी सिद्ध हो जाता है और जिसकी जिसमें भक्ति होती है वह मंत्र भी सिद्ध हो जाता है। मंत्र महोदधि के अनुसार एक वर्ण, तीन वर्ण, पांच वर्ण, छ: वर्ण, दस वर्ण, आठ वर्ण, नौ वर्ण, ग्यारह वर्ण और बत्तीस वर्णवाले मं त्रों को बिना विचारे सिद्ध करना चाहिए। स्वप्न में पाये हुए, स्त्री से पाये हुए, माला, मंत्र, नृसिंह मंत्र, प्रासादा, “हूं” सूर्य मंत्र बाराह मंत्र मातृका अक्षरों पर (ही) त्रिपुरा मंत्र और काम मंत्र जप से सिद्ध हो जाते हैं। गरुड़ मंत्र, बौद्ध मंत्र और जैन मंत्रों में भी सिद्ध आदि का शोधन न करें। इसके अतिरिक्त अन्य मंत्रों की शुद्धि अत्यन्त आवश्यक है।
हमारी पूरी पोस्ट पढ़कर पता चल गया होगा की साधना में माला का क्या महत्त्व हे और आप साधना के अनुकूल उसके हिसाब से माला का प्रयोग कर सकते हो.
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