यदि व्यक्ति घोर संकट में फंस जाये और कही उससे निकलने का रास्ता ना हो तो उस समय में उस व्यक्ति को संकट नाश के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए,
तो चलिए विस्तार से जानते हे संकट नाश के लिए इस मंत्र का प्रयोग कैसे करे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
संकट और दुर्भाग्य से मुक्ति के लिए कुछ लोग मंत्र साधनाएं करते हैं। हालांकि, मंत्र साधना करने से पहले आपको ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
शुद्धि और स्नान:
साधना से पहले अपने शरीर को शुद्ध और स्नान करें।
गुरु की कृपा:
मंत्र साधना को शुरू करने से पहले, एक सिद्ध गुरु से उपदेश लें और उनकी कृपा प्राप्त करें।
निश्चय:
साधना करने के पीछे संकल्प रखें कि आप संकट नाश के लिए मंत्र साधना कर रहे हैं और विश्वास रखें कि यह आपके लिए सकारात्मक परिणाम लाएगी।
नियमितता:
साधना को नियमित रूप से करें।
यहां एक मंत्र दिया गया है जिसका उपयोग संकट नाश के लिए किया जा सकता है:
“ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् स्वाहा।”
साधना के लिए:
पहले एक सुखासन में बैठें और ध्यान केंद्रित करें।
अपने आँखें बंद करें और शांति प्राप्त करें।
अपने मन में भगवान हनुमान का ध्यान करें और उनसे संकट नाश के लिए कामना करें।
फिर उपरोक्त मंत्र को अपने मन में १०८ बार जाप करें। ध्यान रखें कि हर बार मंत्र का जाप सम्पूर्ण भाव से होना चाहिए।
अपने संकल्प को दोहराएं कि आप संकट में इस मंत्र का नियमित जाप करके संकट से मुक्ति प्राप्त करेंगे।
साधना के अंत में ध्यान और ध्यान को समाप्त करें और फिर आंखें खोलें।
यदि आप इस मंत्र साधना को करने में अनुभवी नहीं हैं, तो सबसे पहले एक पंडित या अनुभवी गुरु से सलाह लेना उचित होगा। साधना के दौरान ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार के नकारात्मक परिणामों के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे। इसलिए सतर्कता से साधना करें और विधि-विधान का पालन करें।
मंत्र २
जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन वेद जसुगावा ॥
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ||
दीन दयाल बिरिदु संभारी । हरहु नाथ मम संकट भारी ॥
विधि
संकट नाश के लिए व्यक्ति उपर्युक्त मंत्र का भी जाप कर सकता हे जाप करने का कोई बंधन नहीं हे आप अपनी शक्ति अनुसार मंत्र जाप कर सकते हो.
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