आज में आपको अष्टधातु मंत्र के जरिये कैसे सिद्ध करते हे वो विधि आपको बताऊंगा,अष्टधातु का महत्व बहुत खास माना जाता हे,भगवान की मुर्तिया भी अष्टधातु से बनाई जाती हे और ग्रह पीड़ा नाबूद करने के लिए भी अष्टधातु से बनी अंगूठी पहेनी जाती हे,अष्टधातु आठ पदार्थ का मिश्रण करके बने जाती हे जैसे पारा,लोहा,टिन,जस्ता,सीसा,ताम्बा,चांदी और सोना को मिश्रित करके अष्टधातु बनाइ जाती हे,रोगों से मुक्ति पाने के लिए और ग्रह पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु का प्रयोग किया जाता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे अष्टधातु मंत्र के जरिये कैसे सिद्ध करते हे और उसका क्या विधि विधान हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
अष्ट धातु अष्ट भुजा देवी की ज्योत
जिस पर बैठे ब्रह्मा विष्णु महेश
अष्ट भुजाओं पर दुर्गा माता के अंग पर
सम्पूर्ण देव समा जाय
दुर्गा माता का दीप घी का जलाये
पूर्ण करें कार्य सन्तन के घर जाय
मति करें सिद्धी की शान्ति घर में आये
आख का पेड़ घरे पूजा में दूध से नवाहये
कमण्डल पीतल का ले अष्ट धातु को डुबोये
जब डूब जाय अष्ट धातु सिद्ध हो जाय
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
पहले गणेश पूजन करे और शिवजी की आराधना करे फिर अष्ट देवी की पूजा करें घी की ज्योत जलाये और आख का पेड़ का पत्ते और दूध निकाल कर कमण्डल में डाल दें और अष्ट धातु भी कमण्डल में डालें फिर सिद्ध करें। शनिवार से लेकर शनिवार तक 108 बार इस मन्त्र का पाठ करें और शनिवार को इस आख के दूध और पत्ते को चलते पानी में बहा दें।
अष्टधातु सिद्ध करके पहेन्ने से शरीर में सकारत्मक उर्जा उत्पन्न होती हे,अष्टधातु से बना कडा या अंगूठी धारण करनी चाहिए,व्यापार वृद्धि के लिए भी अष्टधातु का प्रयोग किया जाता हे,शारीरिक और मानसिक शांति के लिए और ग्रह पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु से बनी अंगूठी पहेनी जाती हे,
इस तरह आप अष्टधातु मंत्र के जरिये सिद्ध कर सकते हे और उसको धारण कर सकते हे.
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