दिवाकरमुखी किन्नरी

किन्नरी की साधना मुख्यतः किन्नर समाज के लोग करते हे पर जो तांत्रिक लोग दरबार चलाते हे वो लोग भी किन्नरी की साधना करते हे और उनसे कार्य करवाते हे,जो तांत्रिक काला जादू करता हे वो किन्नरी,यक्षिणी और भूतनी को सिद्ध करते हे और उसको वचन में बाँध देते हे फिर उनसे मनचाहा कार्य करवाते हे,आज में साधक मित्रो को दिवाकरमुखी किन्नरी साधना देंने वाला हु,

अगर आप किन्नर को सिद्ध कर लेते हो तो आपको इससे गलत कार्य नहीं करवाने हे सिर्फ जायज़ काम के लिए ही किन्नरी साधना का प्रयोग करे,यक्षिणी,किन्नरी और भूतनी हो वो सब कार्य कर सकती हे पर आपको उससे अच्छा ही काम करवाना हे ताकि उस शक्ति का आशीर्वाद आप पर सदा बना रहे,इन सब शक्ति से आप गलत कार्य कराते हो तो ये शक्ति कभी भी आपका साथ छोड़ सकती हे और आपकी सिद्धि नष्ट हो सकती हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे दिवाकरमुखी किन्नरी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

दिवाकरमुखी किन्नरी

मंत्र

“ॐ दिवाकरमुखी स्वाहा!!

साधन विधि-

साधक  को  चाहिए कि वह रात्रि के समय पर्वत के शिखर  पर बैठकर उक्त मन्त्र का दस सहस्त्र संख्या में जप करे।

तदुपरान्त  ‘दिवाकर  मुखी  किन्नरी का विधिपूर्वक पूजनकर, पुनरवार आठ सहस्र की संख्या में मन्त्र का जप  करे  तो  ‘दिवाकरमुखी  किन्नरी प्रसन्न होकर साधक  के  समिप  आती है और उसकी पत्नी बन जाती  है।  तत्पश्चात्  वह  प्रतिदिन  कोई न कोई अभिलाषित  वस्तू,  आठ  स्वर्ण  मुद्रा  और अनेक रसयुक्त भोज्य पदार्थ आदि साधक को प्रदान करती है।

इस तरह साधक दिवाकरमुखी किन्नरी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और उसके आशीर्वाद प्राप्त कर सकता हे,साधक को ध्यान ये रखना हे की इस साधना का कभी गलत इस्तेमाल न करे और इस शक्ति का प्रयोग जनहित के कार्य के लिए करे.

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