आज में साधक मित्रो के लिए अष्ट भूतनी साधना में से एक ऐसी भूतनी की साधना देने वाला हु जिसको सिद्ध करके साधक अपनी मनोकामना पूर्ति कर सकता हे, धन दौलत और वैभव की प्राप्ति कर सकता हे,इस पोस्ट के जरिये आपको महानटी भूतनी साधना देने वाला हु,
महानटी भूतनी साधना मुख्यतः दो तरीके से की जाती हे एक तो सात्विक और दूसरी तामसिक आप अपनी हिमत के अनुसार साधना कर सकते हो, साधक को सात्विक साधना ही करनी चाहिए क्योकि तामसिक क्रिया में भूतनी कई विचित्र प्रकार के रूप में आकर साधक को डराने की कोशिश करती हे, वेसे तो भूतनी ही खुद महेली शक्ति मानी जाती हे पर इसको सिद्ध सात्विक क्रिया से करना साधक के लिए अच्छा रहेगा,
तो चलिए विस्तार से जानते हे महानटी भूतनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ ह्रीं कृ कृ कृ कटु कटु ॐ श्रती नटी कृ कृ कृ ॐ श्र:
साधन विधि
नदी के संगम-स्थल पर जाकर उपरोक्त मंत्र का आठ सहस्त्र की संख्या में जप करे तथा पूर्वोक्त प्रकार से पूजन करे।
इस प्रकार सात दिन तक पूजन करे तदुपरान्त आठवे दिन जब सूर्यास्त हो, उस समय चन्दन द्वारा धूप दे। तब महानटी भूतनी प्रसन्न होकर रात्रि के समय साधक के समीप भावों को पाती है।
साधक को प्रतिदिन सौ स्वर्ण-मुद्रा एवं उसकी अन्य अभिलाषाएँ पूर्ण कर प्रातकाल के समय लौट जाती है।
शास्त्रों के अनुसार देखा जाये तो भूतनी आपको जो स्वर्ण मुद्रा देती हे उसका गलत उपयोग करोगे तो आपकी सिद्धि नष्ट भी हो सकती हे इसलिए इसका गलत उपयोग ना करे,
इस तरह साधक महानटी भूतनी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.
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