मौन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता हे,इन्सान मन की शांति के लिए,भक्ति के लिए और साधना के लिए मौन ग्रहण कर सकता हे, मौन साधना प्राचीन काल से आ रही हे हमारे साधू संत कई महीने तक मौन व्रत रखते थे और साधना में सफलता हासिल करते थे,आज में आपके लिए बहुत ही प्राचीन मंत्र लेकर आया हु जिसका प्रयोग करके आप मौन ग्रहण कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मौन ग्रहण मंत्र का प्रयोग कैसे करे और उसका क्या विधि विधान हे उसके बारे में चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ ह्रीं अहं यूं मौन स्थित्यम् मौन व्रतं गृहणामि।
विधि विधान
जब कोई साधक मौन ग्रहण करना चाहता हो तब उसको उपर्युक्त मंत्र ५१ बार बोलकर मौन व्रत करना चाहिए,ये प्रथा एक प्राचीन भारतीय प्रथा है जिसमें व्यक्ति विशेष आयोजनों अथवा धार्मिक अवसरों पर शांति एवं मनन के लिए मौन बना रहता है। इसके दौरान उन्हें शांति और आत्म-समय समर्पण मिलता है। ज्यादातर लोग मन्त्रों का प्रयोग करते हैं जो उनके मन को नियंत्रित करने और मौन ध्यान में मदद करते हैं। निम्नलिखित है एक ऐसा मंत्र जिसे आप मौन के दौरान जप सकते हैं:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
इस मंत्र को अपने मन में ध्यानपूर्वक और शांत मन से जपने से मौन ग्रहण का अनुभव अधिक प्रभावशाली होता है। आप इस मंत्र को अपने विशेष धार्मिक या ध्यान संबंधी अवसरों पर जप सकते हैं जब आप मौन ध्यान करने का निर्णय लेते हैं।
कृपया ध्यान दें कि धार्मिक अनुष्ठान विशेष शिक्षा और मार्गदर्शन के साथ आयोजित किए जाने चाहिए, इसलिए यदि आप किसी धर्मिक गुरु या आचार्य से संबंधित मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको उनसे परामर्श करना उचित होगा।
इस तरह साधक विविध मंत्र का प्रयोग करके मौन ग्रहण कर सकता हे.
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