कोई भी साधना हो इसमें विघ्न जरुर आते हे कई प्रकार की ध्वनि भी सुनाय देती हे, जिस भी शक्ति की या देवता की साधना करते हो वो साधना से ध्यान भटकाने के लिए विचित्र प्रकार के अनुभव कराते हे वो सब कठिन परिश्थिति का सामना करने के लिए रक्षा मंत्र रामबाण इलाज हे, कोई भी साधना काल में देह रक्षा करना जरुरी होता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे साधना काल में देह रक्षा कैसे करते हे और उसकी विधि क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे.
प्रथम रक्षा मंत्र-
मंत्र
ॐ हूँ हूँ फट् किरिटि-किरिटि घातय-घातय पर-विघ्नान् स्फोटय- स्फोटय सहरूलखण्डान कुरु-कुरु पर मुद्रान छिंद-छिंद पर मंत्रान भिन्द-भिन्द क्षों क्षः वः वः हूं फट् स्वाहा ।
मंत्र पढ़कर अपने ऊपर पुष्प या पीली सरसों का क्षेपण करें।
द्वितीय रक्षा मंत्र-
मंत्र
ॐ णमो अरहताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं । णमौ उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं। एसो पंच णमोकारो सव्व पावप्पणासणो। मंगलाणं सव्वेसिं पढमं हवई मंगलं ॐ हूं फट् स्वाहा।
तृतीय रक्षा मंत्र-
मंत्र
ॐ णमो अरहताणं हाँ हृदयं रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा ।
ॐ णमो सिद्धाणं ह्रीं शिरो रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा ।
ॐ णमो आयरियाणं हूँ शिखां रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा ।
ॐ णमो उवज्झायाणं हौं एहि एहि भगवति वज्र कवच वज्रिणी रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा।ॐ णमो लोए सव्व साहूर्ण हः क्षिप्रं साधय साधय वज्रहस्ते भूलिनि दुष्टान रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा।
यह पढ़कर अपने चारों तरफ अंगुली से कुण्डल सा खींचे यह ख्याल कर लें कि यह मेरे चारों और वन मय कोट है। यह कोट बनाकर चारों तरफ चुटकी बजावें।
इसका मतलब है कि जो उपद्रव करने वाले हैं वे सब चले जायें। मैं बजकोट के अन्दर वजशिला पर बैठा हूं। इससे किसी प्रकार का विघ्न नहीं होता है।
रक्षा सूत्र बंधन-
मंत्र
ॐ ही नमोहते सर्व रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा।
दाहिने हाथ में तीन बार लपेट कर बांधे।
इस तरह साधक साधना काल में देह रक्षा करके अपने देह की रक्षा कर सकता हे.
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