अग्नि स्तंभन मंत्र से साधक अग्नि को भी स्तंभित कर सकता हे,प्राचीन समय से इस मंत्र का उपयोग होता आ रहा हे,इस मंत्र की सिद्धि अब बहुत कम के पास रह गई हे,इसका उपयोग ज्यादातर जादूगर करते हे कोई कीमिया दिखाते हे उसके पास अग्नि स्तंभन मंत्र की सिद्धि होती हे,

इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे की इसकी सिद्धि कैसे होती हे और इसका प्रयोग कैसे करते हे,

अग्नि स्तंभन मंत्र

मंत्र

महि थांमो, महि अर थांमो, थांमो मोटी सार

थांमनो आपनो वैसन्दर, तेलहि करो तुषार।

अग्नि स्तंभन मंत्र को सिद्ध करने विधान

ये साधना ११ दिन की साधना हे,उपर्युक्त मंत्र की सुबह और शाम ५-५ माला जाप करे,साधना के दरमियान गूगल का धुप करे और गाय के शुद्ध घी का दिया जलाये,इस मंत्र का जाप साधक रुद्राक्ष की माला से कर सकता हे,

साधना से पूर्व गणेश पूजन अवश्य करे और हाथ में अंजलि लेकर संकल्प ले,११ दिन साधना करने से साधक को साधना में अवश्य सफलता मिलेगी.

प्रयोग

यह प्रयोग सही दृष्टि से दुष्कर्म है और अभिचार कर्म की श्रेणी में आता है।

फिर भी पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए इसका उल्लेख किया जा रहा है। यदि चूल्हे पर कोई दाल-सब्जी किसी पात्र में पक रही हो तो सात बार नमक की डली पर मंत्र पढ़कर चूल्हे में डाल दें। इससे चूल्हे पर रखा पात्र गरम नहीं होगा।

इस साधना की सिद्धि मिल जाने के बाद इसका प्रयोग गलत काम में नहीं करना चाहिए, कई साधक तो ऐसे होते हे जो इसका प्रयोग हर जगह और बार बार करते हे इसलिए उसकी सिद्धि नष्ट हो जाती हे,

एकबार ये साधना सिद्ध हो जाने के बाद जब ग्रहण काल हो या कोई शुभ अवसर हो तब उपर्युक्त मंत्र की ५१ माला करके सिद्ध कर ले ताकि आपका सिद्ध किया हुआ मंत्र जाग्रत रहे,

इस तरह साधक अग्नि स्तम्भन मंत्र को सिद्ध कर सकता हे और इसका प्रयोग कर सकता हे.

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