कमला ध्यान

माता कमला को लक्ष्मी भी कहा जाता हे माता कमला की उपासना और साधना सुख,शांति और समृद्धि के लिए की जाती हे,माता कमला दस महाविधा में स्थान भी रखती हे,माँ कमला की उपासना और साधना करने से पहले कमला ध्यान करना जरुरी हे,

माता कमला के ध्यान को शुरू करने से पहले, आपको ध्यान और मन को तैयार करने के लिए कुछ मौन और स्थिरता के समय की आवश्यकता होगी। नीचे दिए गए चरणों का पालन करके आप माता कमला का ध्यान कर सकते हैं:

ध्यान के स्थान की तैयारी:

ध्यान करने के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें, जहां आप बिना व्याकुलता के बैठ सकें। आप एक पूजा कक्ष या आरामदायक कोना चुन सकते हैं।

आसन:

एक स्थिर और सुखद आसन अपनें, जैसे पद्मासन (कमलासन) या सुखासन (ध्यानासन)। यह आपको ध्यान में ठहरने में सहायता करेगा।

श्वासों की निगरानी:

ध्यान करते समय, श्वास की गति का ध्यान रखें। इससे आपका मन स्थिर होगा और आपको प्राणायाम का अनुभव होगा।

मन की शांति:

अपने मन को शांत करने के लिए मन्त्र जाप कर सकते हैं। माता कमला के मंत्रों में से कोई भी मंत्र चुनें और उसे ध्यान से जपें, जैसे “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा।”

छवि या मूर्ति का ध्यान:

आप एक माता कमला की मूर्ति या तस्वीर की ओर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इससे आपके मन को एक आध्यात्मिक और दैवीय अनुभव का अनुभव होगा।

गान या स्तोत्र का पाठ:

माता कमला के गुणों का वर्णन करने वाले गान या स्तोत्र का पाठ करने से आपका मन उनकी उपासना में जुटेगा। आप उनके सातनाम स्तोत्र या कमला सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

समाप्ति:

ध्यान के अंत में, आहार, विश्राम और प्रार्थना के बारे में सोचें। ध्यान सत्र को समाप्त करके अपने आप को ध्यान करने के बाद की शांति और प्रकाश की अनुभूति करें।

ध्यान और उपासना माता कमला के साथ एक निजी और अंतरंग अनुभव हैं, इसलिए आपको नियमित रूप से अभ्यास करने की सिफारिश की जाती है। आप अपनी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण के साथ माता कमला का ध्यान करते हुए उनसे संबंधित आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

कमला ध्यान

कमला ध्यान

कान्त्या काञ्चनसन्निभां हिमगिरिप्रख्यैश्चतुभिर्गजैः ।

हस्तोत्क्षिप्तहिरण्मयामृतघटेरासिच्यमानांश्रियम् ॥

बिभ्राणां वरमब्जयुग्ममक्षयं हस्तैः किरीटोज्वलाम् ।

क्षौमाबद्धनितम्बबिम्बललितां वन्देऽरविन्दस्थिताम् ।।

कोई  भी  साधना  करने  से  पेहले  पूजा, ध्यान और जप करना जरुरी हे इसके  बिना   सिद्धि नहीं मिल सकती।

इस तरह साधक माता कमला ध्यान करके माता को प्रसन्न कर सकता हे और उसकी उपासना कर सकता हे.

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