भुत-प्रेत,डाकिनी,शाकिनी या चुड़ैल हो या फिर कोई भी प्रेत आत्मा हो इस मंत्र के जरिये उसका प्रभाव नाबूद कर सकते हे,आपके घर मे किसी दुकान में या कोई व्यक्ति पर चुड़ैल का छाया हो तो साधक इस चुडैल भगाने का मंत्र से जाडके चुड़ैल को भगा सकते हे,
ये मंत्र और साधना बहुत ही प्राचीन साधना हे और गुप्त साधना हे अगर इसकी साधना हो जाये तो इसके बारे में किसी से चर्चा ना करे क्योकि ये साधना गुप्त साधना हे,
इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे चुडैल भगाने का मंत्र कैसे सिद्ध होता हे और इसका प्रयोग कैसे किया जाता हे.
मंत्र
ॐ पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण चारि का सर्ग पाताल आंगन द्वार घर मंझार, खाट बिछौना गड़ई सोवनार, सागलन और जेवनार विरासों धावै आनु फुलेल लवंग सोपारीजे मुंह तेल उवटन अबटन और अवनहान पहिरण लहंगा पहले झारो बारम्बार काजर तिलक लिलार आंखि नाक कान कपार पडू सारी जान डोरा चोलिया चादर झीन मोटरुई ओढ़न झीन शंकर गोरा क्षेत्रपाल, चोटी कण्ठ अवकंश कांध बांह हाथ गोड़ अंगुरी नख धुकधुका अस्थाल नाभि पेटी नीचे जोनि चरणि मत भेटी पीठ करिदाव जांघ पेंडुरी छूठी पावतर ऊपर अंगुरा चाम रक्त मांस डांड गुदी धातु, जो नहीं छडु अंतरी कोठरी करेज पित्त ही पित्त जिय प्राण सब वित बात अंकमने जागु बड़े नरसिंह की: कबहुं न लाग फांस, पित्तर रांग कांच, लोहरूप सोन साच पाट पट वशन रोग जोग कारण दीशन डीठि मूठि टोना थापक, नवनाथ चौरासी सिद्ध के सराप डाइन योगिनी चुरइन भूत व्याधि परि अरि जेतुत मनै मोरख नैन, साथ प्रगटरे विलाउ काली और भैरव की हांक, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
ये साधना ११ दिन की साधना हे साधना का प्रारंभ मंगलवार से करे,चन्दन की माला से या रुद्राक्ष की माला से उपर्युक्त मंत्र की ७ माला करे,साधना करने का समय एक ही रखे रात १० बजे के बाद साधना प्रारम्भ करे,साधना के दरमियान गूगल की धुनी दे हो सके तो गणेश पूजन करे,
साधना काल में लहसुन,प्याज न खाये और ब्रह्मचर्य का पालन तन मन से करे,इस तरह ११ दिन विधि विधान के साथ साधना करोगे तो आपकी ये साधना सिद्ध हो जाएगी.
प्रयोग
चुडैल आदि का छाया स्त्रियों पर ही अधिक पड़ता है। जब कभी कोई ऐसी स्त्री आए तो किसी एकांत में रोगी स्त्री को निर्वस्त्र करके नमक तथा पानी के साथ इस मंत्र से इक्कीस बार झाड़ा लगा दें। कुछ दिनों के प्रयोग से चुडैल का साया उस पर से हट जाएगा।
इस तरह साधक चुडैल भगाने का मंत्र से चुड़ैल को भगा सकता हे और कोई भी उपरी बाधा हो तो उसका दोष का निवारण कर सकता हे (उपर्युक्त मंत्र को ग्रहणकाल या किसी भी शुभ अवसर पर फिर से सिद्ध कर ले ताकि मंत्र जागृत रहे)
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